-सांसद रावत के प्रश्न पर कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने दी परियोजना की जानकारी, 225.0 लाख की वित्तीय भागीदारी

24 News Update उदयपुर। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईआईएचआर), बैंगलुरू ने राजस्थान में जनजाति के किसानों को सीताफल की खेती के माध्यम से सशक्त करने की परियोजना तैयार की है, ताकि राजस्थान में सीताफल की गुणवता में सुधार लाया जा सके और उपज में बढ़ोतरी की जा सके। इस परियोजना में रुपये 225.0 लाख की कुल वित्तीय भागीदारी है।
लोकसभा में सांसद डॉ मन्नालाल रावत द्वारा सीताफल की गुणवत्ता एवं उपज में सुधार के संबंध में पूछे गए अतारांकित प्रश्न पर कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने यह जानकारी दी।
सांसद डॉ रावत ने यह जानकारी मांगी थी कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने उदयपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली अरावली पर्वत श्रृंखला में सीताफल की गुणवत्ता में सुधार एवं उपज में वृ‌द्धि के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत कोई अनुसंधान परियोजना शुरु की है अथवा नहीं। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने बताया कि इस क्षेत्र में सीताफल की उपज को बढाने और जनजाति लोगों को आर्थिक रुप से सक्षम करने के लिए सरकार गंभीर है तथा परियोजना के तहत काम कर रही है। परियोजना चार उद्‌द्देश्यों को लेकर शुरु की गई है जिनमें राजस्थान के जनजातीय लाभान्वितों के आर्थिक उत्थान के लिए सीताफल की उन्नत किस्मों का प्रदर्शन करना, सीताफल की व्यावसायिक किस्म बालानगर अथवा अको सहन के पुराने फलो‌द्यानों का पुनरुद्धार करना, सीताफल के प्रसंस्करण पर क्षमता निर्माण को बढ़ाना तथा राजस्थान के जनजातीय लाभान्वितों की सामाजिक-आर्थिक आजीविका पर आईआईएचआर हस्तक्षेपों के प्रभाव का अध्ययन करना शामिल है। इस परियोजना को वित्तीय सहायता के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवायवाय) में प्रस्तुत किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सांसद डॉ रावत ने इससे पूर्व केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के महानिदेशक को भी सीताफल के पौधों की गुणवत्ता सुधारने को लेकर परियोजना स्वीकृत करने के संबंध में पत्र लिखा था।
सांसद डॉ रावत ने पत्र में बताया था कि उनकी लोकसभा क्षेत्र में स्थित अरावली पर्वत श्रृंखला में लाखों की संख्या में सीताफल के पेड़-पौधे उगे हुए है। इन वृक्षों से फल के रूप में प्रतिवर्ष वन उपज भी मिलती है जो खुले बाजार में बेचे जाते है। इस कार्य से क्षेत्र के लगभग 25 हजार से अधिक भील व गरासिया जनजाति परिवारों को अतिरिक्त आय भी मिलती है। इस प्रकार के कार्य में विविध कारणों से कुछ कमियां है, जिनका वैज्ञानिक पद्धति से सुधार किया जाना आवश्यक है। डॉ रावत ने सीताफल के पेड़ों को अधिक फल व वर्ष में दो बार फल देने वाली प्रजाति के रूप में रूपान्तरण करने के लिए टिश्यू कल्चर पद्धति अपनाने, सीताफल को खेती के रूप में उपज के लिए एक बड़ी कृषि परियोजना बनाने का सुझाव दिया था।
डॉ रावत ने बताया था कि इस क्षेत्र में खेतों के आकार अत्यंत छोटे है जिससे किसानों को आय भी अत्यंत कम होती है। ऐसी परिस्थिति में स्थानीय आदिवासी परिवारों के पास आजीविका के साधनों की कमी है जो पलायन का एक बड़ा कारण है। उक्त सुधार होने से स्थानीय स्तर पर आजीविका का प्रमुख साधन बन सकता है, जो लाखों लोगों के जीवन को बदल सकता है।
डॉ रावत ने सीताफल उपज के लिए एक बड़ी परियोजना चलाने का आग्रह किया था। इसको गंभीरता से लेते हुए परियोजना स्वीकृत कर काम भी शुरु कर दिया गया है।


Discover more from 24 News Update

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By desk 24newsupdate

Watch 24 News Update and stay tuned for all the breaking news in Hindi ! 24 News Update is Rajasthan's leading Hindi News Channel. 24 News Update channel covers latest news in Politics, Entertainment, Bollywood, business and sports. 24 न्यूज अपडेट राजस्थान का सर्वश्रेष्ठ हिंदी न्‍यूज चैनल है । 24 न्यूज अपडेट चैनल राजनीति, मनोरंजन, बॉलीवुड, व्यापार और खेल में नवीनतम समाचारों को शामिल करता है। 24 न्यूज अपडेट राजस्थान की लाइव खबरें एवं ब्रेकिंग न्यूज के लिए बने रहें ।

Leave a Reply

error: Content is protected !!

Discover more from 24 News Update

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Discover more from 24 News Update

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading