24 News Update उदयपुर। भारतीय राष्ट्रीय ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटक) उदयपुर चैप्टर द्वारा “इंटक मेवाड़ हेरिटेज फेयर 2025” का आयोजन 1 दिसंबर को रॉकवुड्स स्कूल, उदयपुर में किया जाएगा। यह कार्यक्रम सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक चलेगा। आयोजन के कन्वीनर वैज्ञानिक वास्तु सलाहकार एवं इंटीरियर आर्किटेक्चर डिज़ाइनर गौरव सिंघवी हैं, जबकि रॉकवुड्स स्कूल के डायरेक्टर डॉ. दीपक शर्मा कार्यक्रम के होस्ट एवं वेन्यू पार्टनर हैं।
इंटक उदयपुर चैप्टर के अनुसार, इस हेरिटेज फेयर का उद्देश्य विद्यार्थियों, अभिभावकों, उदयपुर के नागरिकों, सरकारी विभागों, कॉरपोरेट हाउसेज़, होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों सहित सभी में मेवाड़ की सांस्कृतिक, प्राकृतिक और स्थापत्य विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ाना है, ताकि क्षेत्र की परंपरा, संस्कृति और अनुष्ठानों की विरासत सुरक्षित रह सके।
इस अवसर पर “विरासत संरक्षण के 40 वर्ष” विषय पर आधारित एक विशेष प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी, जिसमें इंटक द्वारा देश-विदेश में किए गए संरक्षण कार्यों तथा पुरस्कृत फ़िल्मों की झलक प्रस्तुत की जाएगी।
कार्यक्रम में शहर के 13 विद्यालय भाग लेंगे—
अलॉक स्कूल, सेंट्रल एकेडमी, सेंट्रल पब्लिक स्कूल, इंडो अमेरिकन स्कूल, महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल, महाराणा मेवाड़ विद्या मंदिर, रॉकवुड्स हाई स्कूल, रॉकवुड्स इंटरनेशनल स्कूल, सीडलिंग मॉडर्न पब्लिक स्कूल, द स्कॉलर्स’ एरीना (स्वामी नगर एवं आर॰के॰ पुरम), द विज़न एकेडमी तथा विवेकानंद केंद्रीय विद्यालय, ऋषभदेव।
फेयर में छात्र मॉडल इंस्टॉलेशन, प्राकृतिक धरोहर थीम, कला प्रदर्शनी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिए एक जीवंत “छोटा मेवाड़” तैयार करेंगे। इस माध्यम से विद्यार्थी मेवाड़ की पहचान, उसकी परंपराओं, स्थापत्य और प्राकृतिक विरासत को नज़दीक से समझ पाएंगे।
कन्वीनर गौरव सिंघवी ने बताया—
“आजकल बच्चे पर्यटन स्थलों पर जाकर सिर्फ़ फोटो खींचकर लौट आते हैं, लेकिन स्मारकों और प्राकृतिक धरोहर के बारे में वास्तविक जानकारी नहीं ले पाते। इस मॉडल मेकिंग प्रक्रिया के माध्यम से विद्यार्थियों ने आकृतियों, शैली, इतिहास और प्रकृति को गहराई से समझा है। जो मॉडल वे स्वयं बना रहे हैं, वह जीवनभर उनके ज्ञान को समृद्ध करेगा।”
रॉकवुड्स स्कूल के डायरेक्टर डॉ. दीपक शर्मा ने कहा—
“इस आयोजन की मेजबानी करना हमारे लिए गर्व की बात है। इतने विद्यालयों का एक साथ आकर मेवाड़ की विरासत का उत्सव मनाना ही शिक्षा का सार है। यह अनुभव विद्यार्थियों में नई दृष्टि, संवेदनशीलता और मेवाड़ी गौरव की भावना विकसित करेगा।”
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