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पेपर लीक का 50,000 का इनामी मास्टरमाइंड गिरफ्तार, नेटवर्क में उदयपुर संभाग के कई जिलों की कड़ियाँ उजागर

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प्रिंटिंग प्रेस से 25 लाख में खरीदा था प्रश्नपत्र, अवैध कमाई 1.5 करोड़ पार… गिरोह का दायरा बांसवाड़ा से लेकर शहर तक फैला

जयपुर/उदयपुर, 8 दिसंबर।
वनपाल भर्ती परीक्षा–2022 पेपर लीक प्रकरण में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) को बड़ी सफलता मिली है। इस मामले के प्रमुख मास्टरमाइंड जबराराम जाट को गुजरात से गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी पर 50,000 रुपये का इनाम घोषित था।

जांच में स्पष्ट हुआ है कि पेपर लीक का नेटवर्क दक्षिणी राजस्थान के कई जिलों में फैला, जिसमें बांसवाड़ा के साथ उदयपुर क्षेत्र के अभ्यर्थी भी इससे प्रभावित हुए थे। लीक हुआ पेपर शहर सहित आसपास के इलाकों में अलग–अलग चैनलों के माध्यम से पहुँचाया गया था।


25 लाख में खरीदा गया प्रश्नपत्र, 1.5 करोड़ की अवैध कमाई

एडीजी एसओजी विशाल बंसल ने बताया कि आरोपी जबराराम ने परीक्षा प्रश्नपत्र सीधे प्रिंटिंग प्रेस से खरीदा। इसके लिए उसने लगभग ₹25 लाख का भुगतान किया था।
इस पेपर को बाद में कई समूहों में बेचा गया और इस अवैध कारोबार से जबराराम ने लगभग ₹1.5 करोड़ कमाए।


संभाग में फैला नेटवर्क: बांसवाड़ा में रैकेट सक्रिय, शहर में भी पहुँचाया गया पेपर

जांच के दौरान एसओजी को पता चला कि जबराराम के साथी –
हीरालाल (गुड़ामालानी) ने बांसवाड़ा जिले में बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र उपलब्ध करवाए।
● जबकि दूसरा सहयोगी कंवराराम ने संभाग के शहरी क्षेत्र (उदयपुर) में परीक्षार्थियों तक लीक हुआ पेपर पहुँचाने का काम किया।

दोनों आरोपी पूर्व में गिरफ्तार हो चुके हैं और उन्होंने स्वीकार किया कि प्रश्नपत्र सीधे जबराराम ने उन्हें दिया था।


शिक्षक पद से बर्खास्त, अब पेपर लीक गैंग का सरगना

जबराराम वर्ष 2019 में बाड़मेर जिले के एक राजकीय विद्यालय में शिक्षक था।
पेपर लीक गतिविधियों में संलिप्तता सामने आने पर उसे पद से बर्खास्त कर दिया गया था।


एसओजी की विशेष टीम ने गुजरात से दबोचा

डीआईजी एसओजी परिस देशमुख व उनकी टीम ने लगातार तकनीकी व मानव संसाधन इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए गुजरात पुलिस के सहयोग से आरोपी को पकड़ा।
उसे जयपुर लाकर पूछताछ शुरू कर दी गई है।


पूरी श्रृंखला की पहचान की तैयारी

एसओजी अब यह पता लगाने में जुटी है कि
प्रश्नपत्र प्रिंटिंग प्रेस से बाहर कैसे आया,
किस–किस ने खरीदा,
कौन–कौन अभ्यर्थी लाभान्वित हुए
और किन दलालों ने परीक्षा गड़बड़ी में भूमिका निभाई।

संभाग में सक्रिय नेटवर्क की वजह से जांच का दायरा और भी बढ़ने की संभावना है।

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