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RTDC मावठा के टेंडर में भारी भ्रष्टाचार, चहेती फर्म को ठेका देकर सरकार को लगाया 8 से 10 करोड़ का चूना, टेंडर में रख दिया इंटरव्यू, राजस्थान से बाहर की फर्म को दिया टेंडर

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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। जयपुर की आमेर मावठा झील में बोटिंग टेंडर में पारदर्शिता पर बड़ा सवाल उठ गया है। उदयपुर की कोरल एसोसिएट्स ने टेंडर में भारी अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए उच्चाधिकारियों से इसकी शिकायत की है। टेंडर के माध्यम से आरटीडीसी ने सरकार को भारी चूना लगाया है जबकि वह हमेशा घाटे में चलने की शिकायत करता रहता है।

चहेती फर्म को ठेका देने के लिए नियमों की जगह-जगह अवहेलना की गई। यही नहीं, टेंडर प्रक्रिया में इंटरव्यू प्रक्रिया रखकर उसके अंक रख दिए मानो यह किसी आईएएस, आरएएस का इंटरव्यू हो रहा हो। ऐसी अंधेरगर्दी पहले कभी नहीं देखी गई। अंदरखाने पूरे विभाग में ही नहीं, पूरे राजस्थान में इस टेंडर के चर्चे हो रहे हैं। जानकार बता रहे हैं कि यह अब तक ‘दाल में कुछ काला’ चलता था, मगर यहां तो पूरी की पूरी दाल ही काली है।

कुल मिलाकर असेसमेंट किया जाए तो सरकार को 8 से 10 करोड़ का चूना लगा है। ऐसा क्यों हुआ व लाभार्थियों के तार किन राजनेताओं व अधिकारियों से जुड़े हैं, यह तो जांच के बाद ही पता चल सकता है।

आपको बता दें कि जयपुर में आमेर की ऐतिहासिक मावठा झील में बोटिंग और वॉटर स्पोर्ट्स के संचालन के लिए 12 साल बाद बहुप्रतीक्षित टेंडर निकले हैं। इसमें उदयपुर की प्रतिष्ठित फर्म कोरल एसोसिएट्स ने राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) और अधिकारियों पर सौतेला व्यवहार और नियमों की अनदेखी कर मुंबई की एमफीट्राइट सब-सी प्राइवेट लिमिटेड को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। प्रक्रिया में उदयपुर की अनुभवी लोकल फर्मों को दरकिनार कर मुंबई और बाहरी कंपनियों को अनुचित तरीके से लाभ दिया जा रहा है।

आयोग्य घोषित फर्म को फिर गले लगा लिया, पहले भी सिलिसेढ़ में किया था बाहर

कोरल एसोसिएट्स ने आरोप लगाया कि इससे पहले 2023 में सरिस्का, अलवर के सिलिसेढ़ झील बोटिंग टेंडर में भी इसी तरह बिना कारण अयोग्य घोषित कर बाहर कर दिया गया था।

ये कैसे नियम, इंटरव्यू के भी नंबर

मावठा झील के बोटिंग टेंडर में कुल 100 अंकों का मूल्यांकन रखा गया। जिसमें 70 अंक तकनीकी अनुभव व पात्रता और 30 अंक प्रेजेंटेशन के थे। नियम था कि 70 से कम अंक पाने वाले की वित्तीय निविदा नहीं खोली जाएगी।

कोरल एसोसिएट्स को मात्र 66 अंक देकर बाहर कर दिया गया जबकि एमफीट्राइट सब-सी को 75 अंक दे दिए गए। फर्म ने आरोप लगाया कि फाइनल स्कोर जारी कर दिया गया, लेकिन किसी भी मापदंड में कितने अंक मिले, इसका विवरण नहीं दिया गया।

बताया गया कि सात दिन तक आरटीडीसी के प्रबंध निदेशक, तकनीकी निदेशक सहित अनुपमा जैन (अध्यक्ष, आरटीडीसी), प्रमोद शर्मा (निदेशक तकनीकी), और निविदा समिति के सदस्यों को मेल भेजकर जानकारी मांगी, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया।

कोरल एसोसिएट्स के प्रतिनिधि के अनुसार “अगर रेट में पिछड़ते तो कोई बात नहीं, लेकिन अंक देने में भी गलत दस्तावेजों के आधार पर बाहर किया गया। जिन बिंदुओं पर अंक दिए गए, उनमें नियम अनुसार थर्ड पार्टी का अनुभव मान्य नहीं होता, लेकिन फिर भी मुंबई की फर्म को अंक देकर हमें अयोग्य ठहरा दिया।” यह भी नहीं बताया गया कि इंटरव्यू में अंक का आधार क्या था।

इलेक्ट्रिक बोटिंग का 10 साल का सफल अनुभव भी दरकिनार

जब हमने दस्तावेज देखे तो पाया कि कोरल एसोसिएट्स को माउंट आबू में पिछले 10 वर्षों से इलेक्ट्रिक बोट का सफल संचालन का अनुभव है, वह भी न्यूनतम रेट में। इसके अलावा उदयपुर की पिछोला झील में इलेक्ट्रिक बोट राजस्थान में सबसे पहले उतारने का भी श्रेय है।

सभी मानकों पर भी खरे उतर रहे हैं, मगर बाहर की फर्म को आधे अनुभव के बावजूद ऊंचे रेट और गलत दस्तावेजों के आधार पर अंक दिए गए।

आरटीडीसी घाटे में, फिर भी बाहर की कंपनियों को फायदा

आंकड़ों के अनुसार, आरटीडीसी बीते कई वर्षों से घाटे में चल रहा है। बावजूद इसके स्थानीय, अनुभवी और राजस्व बढ़ाने वाली फर्मों को दरकिनार कर बाहरी कंपनियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।

2023-24 में ही आरटीडीसी को 18 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, फिर भी राज्य की पुरानी फर्मों को बाहर कर टेंडर दिए जा रहे हैं। यह मामला अब पर्यटन विभाग के प्रमुख शासन सचिव के समक्ष अपील के लिए भी पहुंच गया है।

यह है प्रमुख मांगें

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