24 News Update डूंगरपुर. राजस्थान के डूंगरपुर जिले की चिखली पंचायत समिति के अंतर्गत ग्राम पंचायत मालाखोलड़ा में गरीब कल्याण सामुदायिक शौचालय योजना के तहत सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला सामने आया है। गांव के सरपंच केशव लाल कलासुआ पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी योजना के तहत स्वीकृत सामुदायिक शौचालय को निर्धारित स्थान — गांव के बस स्टैंड — की बजाय अपने निजी आवास के बाहर बनवा दिया। वर्ष 2021-22 में इस योजना के तहत ₹3.17 लाख की राशि स्वीकृत हुई थी। शौचालय निर्माण का उद्देश्य था यात्रियों व आम ग्रामीणों को सार्वजनिक सुविधा मुहैया कराना, जिसके लिए स्थान चुना गया था गांव का बस स्टैंड। लेकिन सरपंच ने बस स्टैंड से करीब 200 मीटर दूर अपने घर के सामने शौचालय बनवा लिया।
शौचालय पर कब्जा, सार्वजनिक उपयोग पर सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि उक्त शौचालय सार्वजनिक उपयोग में नहीं है। उसके भीतर और बाहर सरपंच के परिवार का निजी सामान पड़ा रहता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि शौचालय का उपयोग मुख्यतः उनके परिवार द्वारा ही किया जा रहा है। मामले में सफाई देते हुए सरपंच केशव लाल ने दावा किया कि बस स्टैंड के आसपास कोई उपयुक्त ‘बिलानाम सरकारी ज़मीन’ नहीं थी, इसलिए घर के पास मौजूद बिलानाम भूमि पर निर्माण कराया गया। उनका यह भी कहना है कि “आसपास के कुछ ग्रामीण भी इसका उपयोग करते हैं।” पंचायत समिति चिखली के विकास अधिकारी जयेश पाटीदार ने बताया कि मामले की शिकायत प्राप्त हुई है। “शौचालय के स्थान की राजस्व रिकॉर्ड से जांच करवाई जाएगी। यदि अनियमितता पाई गई तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”
बड़ा सवाल: जवाबदेही किसकी?
यह घटना न केवल सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जमीनी स्तर पर निगरानी और जवाबदेही की कितनी कमी है। जब सामुदायिक संसाधनों को निजी लाभ के लिए प्रयोग में लाया जाता है, तो इसकी कीमत अंततः जनता को ही चुकानी पड़ती है।
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