24 News Update उदयपुर। पूज्य बिलोचिस्तान पंचायत एवं सनातन धर्म सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में शक्तिनगर स्थित सनातन धर्म मंदिर में भगवान झूलेलाल का चालीहा विसर्जन महोत्सव सोमवार को श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। चालीस दिनों तक चले इस महापर्व का समापन भव्य शोभायात्रा और विसर्जन के साथ हुआ, जिसमें सिंधी समाज सहित शहरभर के श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
16 जुलाई से 25 अगस्त तक महापर्व
समाज अध्यक्ष नानकराम कस्तूरी ने बताया कि महोत्सव का आरंभ 16 जुलाई को हुआ था, जो 25 अगस्त तक चला। इस दौरान मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्वलित रही और प्रतिदिन अलग-अलग प्रकार के प्रसाद का भोग भगवान झूलेलाल को अर्पित किया गया।
आतिशबाजी और पुष्पवर्षा से गूंजा शहर
समापन दिवस पर विशेष पूजा-अर्चना के बाद शोभायात्रा निकाली गई, जो शक्तिनगर से रवाना होकर शास्त्री सर्कल, चेटक मार्ग होते हुए स्वरूप सागर पर सम्पन्न हुई। यात्रा मार्ग में श्रद्धालुओं ने जगह-जगह आतिशबाजी, पुष्पवर्षा, प्रसाद वितरण और जलसेवा के काउंटर लगाकर बहराणा साहिब और शोभायात्रा का स्वागत किया। पूरा शहर “जय झूलेलाल” के जयकारों से गूंज उठा।
40 दिनों तक कथा-भजन का आयोजन
सनातन धर्म सेवा समिति के मनोज कटारिया ने बताया कि पूरे 40 दिनों तक प्रतिदिन शाम को कथा, भजन और कीर्तन हुए। समाजजन ने जन्मदिन, सालगिरह जैसे शुभ अवसरों पर “हाथ प्रसाद” रखकर सहभागिता निभाई। कई श्रद्धालुओं ने पूरे 40 दिनों तक नंगे पैर रहकर और संयमित आहार लेकर चालीहा व्रत का पालन किया।
सिंधी समाज की आस्था का प्रतीक
समाजजन ने बताया कि भगवान झूलेलाल को सिंधी समाज जल देवता “वरुण” का अवतार मानता है और उन्हें ‘इष्ट देव’ के रूप में पूजता है। चालीहा उत्सव समाज की आस्था, व्रत और साधना का प्रतीक है, जिसमें जल के महत्व और विश्व कल्याण की प्रार्थना की जाती है। समापन अवसर पर समाज के प्रमुख पदाधिकारी प्रताप राय चुग, भगवानदास छाबड़िया, सुखराम बालचंदानी, प्रकाश रुपचंदानी, शीला बावजी, हरीश चावला, रमेश तलदार सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। देर रात तक मूसलाधार बारिश के बावजूद भक्तगण भजन-कीर्तन में डूबे रहे और “जय झूलेलाल” के उद्घोष से माहौल भक्तिमय बना रहा।
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