24 News Update निंबाहेड़ा कविता पारख । भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली और श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन आदि शंकराचार्य का भारतीय दर्शन में अवदान शीर्षक पर विश्वविद्यालय परिसर के सभागार में किया गया। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. जे. एस. दुबे प्राचार्य, शासकीय राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंदसौर, विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ. विनय कुमार तिवारी, सहायक आचार्य (दर्शन), मानसरोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय सिहोर (मध्यप्रदेश) और सारस्वत वक्ता के रूप में प्रो. टी. एस. गिरीश कुमार आचार्य (दर्शन), सयाजीराव गायकवाड विश्वविद्यालय बड़ौदा, (गुजरात) थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. वैद्य महेश दीक्षित कुलपति श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय ने की। वहीं संरक्षक कैलाशचंद्र मूंदड़ा चेयरपर्सन श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय रहें। मुख्य वक्ता प्रो. जे. एस. दुबे ने शंकर बोध के रूप में आदि शंकर के दर्शन को सरल शब्दों में समझाया। वहीं प्रो. गिरीश ने पुरातन ज्ञान परंपरा की वर्तमान समय अनुकूल व्याख्या की। अध्यक्ष प्रो. दीक्षित ने ज्ञान की प्राप्ति और इसके लिए उचित माध्यम बनने के लिए मार्गदर्शन किया। वहीं संरक्षक कैलाशचंद्र मूंदड़ा ने विश्वविद्यालय की शंकर परंपरा को प्रकाशित किया।
भारतीय दर्शन दिवस के अनुयाज के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों और शोधार्थियों के साथ-साथ जिज्ञासुओं को आदि गुरु शंकर के दर्शन सरल और सहज भाषा में समझाना था। साथ ही दर्शन को व्यावहारिक जीवन में किस प्रकार से अपनाया जा सकता हैं, इस विषय पर केंद्रित था। उक्त उद्देश्य को ध्यान में रखकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों और विद्यार्थियों, शोधार्थियों के साथ-साथ निकटस्थ आम नागरिकों ने भी उत्साहपूर्ण ढंग से भागीदारी की।
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