Site icon 24 News Update

मेवाड़ के लोक संत बावजी चतरसिंह जी एवं संत भूरी बाई के संदर्भ में व्याख्यान

Advertisements

24 News Update उदयपुर। मेवाड़ के लोक संत कवि बावजी चतरसिंह जी (1880–1929) एवं नाथद्वारा की संत भूरी बाई के विशेष संदर्भ में प्रेरणादायक व्याख्यान का आयोजन आज टखमण -28 आर्ट गैलरी में मोन्टाज ग्रुप के मासिक सत्र के तहत किया गया।
डॉ एम एल नागदा ने अपने व्याख्यान की शुरुआत संत भूरी बाई की आध्यात्मिक यात्रा के वर्णन से करते हुए विश्व विख्यात दार्शनिक ओशो के साथ उनके दार्शनिक विमर्श का उल्लेख किया। उन्होंने संत कवि बावजी चतरसिंह जी के त्याग, समर्पण व आध्यात्मिकता पर विशेष प्रकाश डाला। डॉ नागदा ने उनके साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से समाज को स्वाभिमान, त्याग और देशभक्ति का संदेश देने वाले महत्वपूर्ण पदों का सविस्तार विश्लेषण प्रस्तुत किया।
डॉ नागदा ने बताया कि बावजी चतरसिंह जी ने सरल उदाहरणों के माध्यम से जीवन दर्शन समझाया। उन्होंने संत कवि के द्वारा रचित काव्य रचनाओं को उद्धृत करते हुए कहा:
“पर घर पग नी मेळणों, वना मान मनवार।
अंजन आवै देख’नै, सिंगल रो सतकार।”
भारत के तत्कालिक पराधीनता काल में उन्होंने देशवासियों को जागृत करने के लिए प्रेरक गीत भी रचे:
“जागो जागो रे भारत रा वीरां जागो।
थांणों कठै केशरय्यो वागो॥
थे हो पूत वणांरा जाया, (ज्यांरो) जश सुरगां तक लागो।”
सत्र का शुभारंभ डॉ कमल नाहर द्वारा विषय प्रवर्तन से हुआ, अध्यक्षता प्रो सदाशिव श्रोत्रिय ने की, जबकि स्वागत एवं आभार प्रकट संस्थापक डॉ पारितोष दुग्गड़ ने किया। विचारोत्तेजक सत्र में विलास जानवे, शारदा भट्ट, एच एल कुणावत, बिंदु गुप्ता, किरण जानवे, मंजू दुग्गड़, संदीप पालीवाल, रमेश गर्ग, रेनू देवपुरा के साथ नवीन सदस्य ए एल दमामी, श्री लोहार व श्री दशोरा उपस्थित रहे। सभी उपस्थितजनों ने संत कवि बावजी चतरसिंह जी एवं संत भूरी बाई के योगदान को याद करते हुए उनकी विचारधारा को समाज में जन जन तक पहुँचाने की आवश्यकता पर बल दिया।

Exit mobile version