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मकराना में अंतिम संस्कार, उदयपुर में आक्रोश की आग में जले प्रशासन के पुतले

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डॉ. रवि शर्मा की मौत मामला : पांचवें दिन भी रेजिडेंट्स का उग्र विरोध


24 News Update उदयपुर।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के पीजी हॉस्टल में करंट लगने से डॉ. रवि शर्मा की मौत के मामले ने सबको हिला कर रख दिया है। जहां डाक्टरों से लेकर सभी संवेदनशील शहरवासी आहत हैं व कॉलेज प्रशासन पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं तो दूसरी तरफ राजनीतिक एप्रोच से पद और पैसों का पावर लेकर बैठे लोग अब भी ना सिर्फ पदों पर बने हुए हैं बल्कि हड़ताल का उन पर कोई असर नहीं हो रहा है। समझाश की नौटंकी करने वाले नेता भी अब गायब हो गए हैं। कुछ सामाजिक संगठनों को छोड़ कर विरोध का कोई समवेत स्वर नहीं नजर आ रहा है। मगर रेजिडेंट डटे हुए हैं, उनका संकल्प है कि चाहे जो हो जाए, डाक्टर रवि के परिवारजनों को न्याय दिलाना ही है। हादसे के पांचवें दिन भी रेजिडेंट डॉक्टर्स ने प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखते हुए कॉलेज परिसर में शवयात्रा निकालकर पुतला दहन किया। कॉलेज प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ रेजिडेंट्स ने जमकर नारेबाजी की प्रशासन के प्रतीकात्मक शव की अंतिम यात्रा निकाली और उसे आग के हवाले कर अपना आक्रोश जताया। साफ साफ कहा कि यह हादसा नहीं हत्या है। हादसे में डॉ. रवि शर्मा की मौत के बाद लगातार पांच दिन से आरएनटी मेडिकल कॉलेज, एमबी हॉस्पिटल, जनाना अस्पताल, सुपर स्पेशियलिटी विंग, सेटेलाइट हॉस्पिटल और चांदपोल हॉस्पिटल सहित जिले भर के अस्पतालों की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं। हड़ताल के कारण मरीजों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है और कई जरूरी ऑपरेशन भी टाले जा चुके हैं।
डॉ. शर्मा के परिवार ने भी इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कॉलेज प्रशासन, हॉस्पिटल और हॉस्टल के जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। मृतक के चाचा देवीकिशन शर्मा ने हाथीपोल थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए स्पष्ट रूप से कॉलेज प्रशासन की लापरवाही को हादसे का जिम्मेदार बताया। पुलिस ने मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(1) के तहत लापरवाही से मौत का प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। एफआईआर में एक गंभीर खुलासा यह भी हुआ है कि वाटर कूलर में करंट आने की शिकायत रेजिडेंट्स द्वारा पहले भी कई बार की गई थी। रेजिडेंट डॉक्टर्स ने व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से हॉस्टल प्रशासन, कॉलेज प्रबंधन और अस्पताल प्रशासन को इस खामी की जानकारी दी थी, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। न तो वाटर कूलर की मरम्मत कराई गई और न ही वहां चेतावनी बोर्ड लगाया गया। इसी लापरवाही के कारण आखिरकार डॉ. रवि शर्मा की जान चली गई।
घटना की जानकारी मिलने के बाद जैसे ही रेजिडेंट्स ने विरोध शुरू किया, प्रशासन की ओर से लीपापोती की कोशिशें शुरू कर दी गईं। 18 जून की रात करीब 1ः30 बजे हुई इस घटना के बाद कॉलेज प्रशासन ने 19 जून को पोस्टमार्टम कराया, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में करंट लगने का उल्लेख ही नहीं किया गया। इससे आक्रोशित परिजनों और रेजिडेंट डॉक्टर्स ने मांग उठाई कि दोबारा निष्पक्ष पोस्टमार्टम कराया जाए। इसके बाद 21 जून को एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर से डॉक्टर बुलाकर दोबारा पोस्टमार्टम किया गया, जिसमें करंट लगने से शरीर में चोट के संकेत मिले।
22 जून को मृतक डॉक्टर के परिजनों ने हाथीपोल थाने में विधिवत एफआईआर दर्ज कराई और दोषी अफसरों व कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। रात करीब 11ः15 बजे डॉ. रवि शर्मा का पार्थिव शरीर एमबी हॉस्पिटल की मोर्च्युरी से एंबुलेंस में उनके गृह नगर मकराना के लिए रवाना किया गया। सैकड़ों रेजिडेंट डॉक्टर्स और सहकर्मियों ने पुष्प वर्षा कर नम आंखों से साथी को अंतिम विदाई दी। डॉ. रवि शर्मा के चाचा जगदीश शर्मा ने बताया कि रवि बचपन से ही बेहद मेधावी छात्र था। कोटा में दो साल की तैयारी के बाद उसने दूसरे प्रयास में जोधपुर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में प्रवेश लिया। इसके बाद अजमेर के जेएलएन मेडिकल कॉलेज से एनेस्थिसीया में पीजी कर गोल्ड मैडल हासिल किया। डॉ. रवि शर्मा अपने परिवार के पहले डॉक्टर थे। पिता दिलीप शर्मा मकराना में साड़ी की दुकान हैं। छोटी बहन कोमल शर्मा है। दो छोटी बेटियां हैं, जिनमें एक डेढ़ साल की और दूसरी तीन साल की है। उनकी प्रेरणा से कजिन भाई डॉ. प्रशांत, डॉ. उज्जवल और डॉ. यश शर्मा ने भी चिकित्सा क्षेत्र को अपना करियर बनाया।

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