Advertisements
24 News update जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले में 13 वर्षीय रेप पीड़िता को 27 सप्ताह 6 दिन (लगभग 7 महीने) के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दे दी है। जस्टिस सुदेश बंसल की अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अगर पीड़िता को बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उसे जीवन भर मानसिक और शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ेगा।
High court decision ; मुख्य तथ्य:
- फैसला: राजस्थान हाईकोर्ट (जयपुर बेंच) ने 13 वर्षीय रेप पीड़िता को 27 सप्ताह 6 दिन (लगभग 7 महीने) के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी।
- न्यायाधीश: जस्टिस सुदेश बंसल ने यह फैसला सुनाया।
- कारण: अदालत ने कहा कि पीड़िता को जबरदस्ती बच्चा जन्म देने के लिए मजबूर करना उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर पीड़ा का कारण बनेगा।
- मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट: अदालत ने तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया। रिपोर्ट में कहा गया कि गर्भपात में कुछ जोखिम हैं, लेकिन यह संभव है।
- महत्वपूर्ण बिंदु:
- पीड़िता की इच्छा: उसने खुद बच्चे को जन्म देने से इनकार किया।
- मानसिक स्वास्थ्य: अदालत ने MTP एक्ट, 1971 के तहत यह स्पष्ट किया कि बलात्कार के कारण हुई गर्भावस्था मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर नुकसानदेह होती है।
- भ्रूण का भविष्य: अगर भ्रूण जीवित रहता है, तो राज्य सरकार के खर्च पर उसका पालन-पोषण किया जाएगा। अगर नहीं, तो डीएनए रिपोर्ट के लिए उसके टिश्यू सुरक्षित रखे जाएंगे।
- माता-पिता की सहमति: पीड़िता के माता-पिता भी गर्भपात के पक्ष में थे।
- कानूनी आधार:
- MTP एक्ट, 1971: रेप पीड़िता और नाबालिग लड़कियों को 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति है। 24 सप्ताह से अधिक होने पर, मेडिकल बोर्ड की सिफारिश के बाद अदालत की अनुमति जरूरी होती है।
- दिसंबर 2024 गाइडलाइन: हाईकोर्ट ने रेप पीड़ितों के अधिकारों को स्पष्ट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मंशा जताई थी।
इस फैसले का महत्व:
- यह फैसला रेप पीड़िताओं के अधिकारों और उनके मानसिक स्वास्थ्य की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
- अदालत ने पीड़िता की इच्छा और मेडिकल रिपोर्ट को प्राथमिकता दी।
- भविष्य में ऐसे मामलों में न्यायिक प्रक्रिया को अधिक स्पष्ट और संवेदनशील बनाने की दिशा में यह एक मिसाल हो सकता है।

