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- आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन की धूम जारी
24 News Update उदयपुर। तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की। नाहर ने बताया कि बाहर से दर्शनार्थियों के आने का क्रम निरन्तर बना हुआ है, वहीं त्याग-तपस्याओं की लड़ी जारी है।
आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने प्रवचन में बताया कि मनुष्य गति मिलना अनमोल है जिसमें मनुष्य सिद्ध बनने का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। अन्य किसी गति में जीवात्मा को ऐसा दुर्लभ अवसर प्राप्त नहीं होने वाला है। नरक गति में पेट नहीं होगा, देव गति में दान करने का भाव नहीं बनेगा। तिर्यंच गति में मंदिर नहीं आ सकेंगे। मनुष्य गति में ही मोक्षगामी बनने का परमिट मिलता है इसलिए भावों में विशुद्धि करके अपना चौथा गुणस्थान प्राप्त कर लेना चाहिए फिर मोक्ष जाने से कोई नहीं रोक पाएगा। उन्होंने कहा कि तीर्थंकरों को आहार देने वाले को मोक्ष प्राप्ति होती है। आहार देने में शुद्धता व प्रासुकता का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। आहार करते समय हमेशा मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि हम जैसा अन्न खाएंगे वैसा ही हमारा मन बन जाएगा। घर का शुद्ध खाना खाए और बाहर का अशुद्ध खाना खाने से बचना चाहिए। हमारी प्रत्येक क्रिया में भावना मोक्ष प्राप्ति की रहनी चाहिए। जीवन में समता भाव रखने से ही कल्याण होगा।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, पारस पोखरना, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागोरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, चतर सिंह पामेच, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भण्डारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।

