– पुष्य नक्षत्र में गौतम स्वामी की 108 कमल पुष्प से की विशेष पूजा-अर्चना
– 27 जुलाई को आयोजित होगी 24 तीर्थंकरों की माताओं पर आधारित नाटिका
– आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन की धूम जारी
24 News Update उदयपुर। तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की। आयड़ तीर्थ के मंदिर परिसर में पुष्य नक्षत्र में गौतम स्वामी का 108 कमल के पुष्प से पूजन की गई। उसके बाद सामूहिक महाआरती हुई। नाहर ने बताया कि रविवार 27 जुलाई को 24 तीर्थंकरों की माताओं पर आधारित नाटिका का आयोजन किया जाएगा। उसके बाद साधर्मिक भक्ति कार्यक्रम का आयोजन होगा।
आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने प्रवचन में बताया कि पुष्य नक्षत्र में जैन धर्म में गौतम स्वामी (इंद्रभूति गौतम) की पूजा का विशेष महत्व है। गौतम स्वामी, भगवान महावीर के प्रथम गणधर थे, और उन्हें ज्ञान, भक्ति और मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। पुष्य नक्षत्र को शुभ माना जाता है, और इस नक्षत्र में गौतम स्वामी की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति होती है। कहा श्रीयंत्र में गौतम स्वामी की स्थापना कर महालक्ष्मी (श्रीदेवी) की आराधना करते हैं। इससे घर में समृद्धि, सुख-शांति, अपार लाभ मिलता है। इसकी पूजा से समाज और घर में शांति रहती है। संगीतमय श्रीयंत्र पूजा हुई। देशभर से आए गुरु भक्त अनुष्ठान में शामिल हुए।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, चतर सिंह पामेच, सतीश कच्छारा, प्रकाश नागोरी, अशोक जैन, राजेन्द्र जवेरिया, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, गोवर्धन सिंह बोल्या, दिनेश भण्डारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।
गौतम स्वामी को ज्ञान, भक्ति और मुक्ति का प्रतीक माना जाता : साध्वी जयदर्शिता

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