24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। आज भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ उदयपुर पहुंचे व पत्रकार वार्ता में जब उनसे मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलगुरू के बारे में पूछा गया तो उनके जवाब से कई संकेत मिले। ऐसा लगा कि कहीं ना कहीं भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर कोई दबाव काम कर रहा है। निचले स्तर पर जहां पर सभी जन प्रतिनिधियों व पार्टी की इकाई ने वीसी को हटाने की पुरजोर वकालत की है तो पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष के बोल से साफ हो रहा है अब भी कहीं ना कहीं कोई दबाव काम कर रहा है। पार्टी जांच कमेटी के नाम पर गुंजाइश देख रही है। इस बारे में कहां से क्या दबाव और संदेश आ रहे हैं यह तो आने वाले दिनों में ही साफ हो पाएगा मगर प्रदेशाध्यक्ष के बयान से भाजपा के सॉफ्ट होने के संकेत साफ मिल गए। राठौड़ बोले कि – उन्होंने गलती की ऐसे किसी भी बयान से बचना चाहिए, जिससे किसी को ठेस पहुंचे। ऐसा वक्तव्य देना अपराध है। बिना इतिहास को पढ़े किसी की प्रशंसा करना और आलोचना नहीं करनी चाहिए। ये तो उन्होंने गलत किया है। उन्होंने माफी मांगी है मतलब अपराध बोध तो है।
जब तक इतिहास का पूरा अध्ययन नहीं कर ले, तब तक ऐसी कोई बात नहीं करनी चाहिए। इस पर गंभीरता से विचार करेंगे। बुलाकर भी पूछताछ करेंगे। जब तक पूरी समीक्षा नहीं होती, उससे पहले कुछ कह देना जल्दबाजी हो जाएगी। जांच कमेटी अध्ययन करके निर्णय लेगी, उसके अनुसार आगे होगा। आपको बता दें कि जांच कमेटी में विपिन माथुर को शामिल किया गया है जो खुद अपने कॉलेज में रेजिडेंट से करंट की मौत के मामले में डॉक्टर रवि शर्मा के परिजनों को न्याय नहीं दिला पाए थे। इसके साथ ही जांच कमेटी को कितने दिन में रिपोर्ट देनी है यह भी आदेश में स्पष्ट नहीं है। अर्थात कोई समय सीमा नहीं है। ऐसे में बयानों के सहारे राजनीतिक हवा किस तरफ बहती दिख रही है इसके संकेतों से साफ नजर आ रहा है कि कहीं ना कहीं प्रदेश भाजपा पर दबाव है। यह दबाव दिल्ली से या सबसे उंची कुर्सी से हो सकता है जिसका कई बार सुविवि में दावा भी किया गया व उसी के अनुसार पावर इक्वेशन तय होती रही। एसएफएबी के आंदोलन में प्रारंभिक रूचि दिखाने के बाद उदयपुर के विधायकों व अन्य प्रतिनिधियों की बोलती बंद हो गई थी। यहां तक कि पंजाब वाला पावर सेंटर भी न्याय के लिए पहल नहीं कर सका। ऐसे में यह चर्चा का विषय बन गया है कि कहीं दिल्ली वाला तंत्र फिर से सक्रिय होकर राजस्थान के भाजपाइयों पर भारी तो नहीं पड़ रहा है। आज के प्रदर्शन में भी कुछ चेहरों की अनुपस्थिति के बावजूद एबीवीपी का जोश हाई है। अभी तो निचले स्तर पर यही संदेश है कि आंदोलन उसी रवानी से जारी रहने वाला है। मगर दबाव कौनसा कहां व किस पर काम करता है यह एक दो दिन में साफ हो जाएगा। इस बार मैदान में एनएसयूआई भी है। ऐसे में यह भी दिलचस्प बात हो रही है कि दोनों दलों में जब जब उपर से प्रेशर आ रहा है तो दूसरे दल वाला ज्यादा तेवर दिखा कर मामला बैलेंस कर रहा है।
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