आर्यिका नमनश्री बोलीं – “जीवन में असाता वेदनीय कर्म का उदय हमारी सुख-शांति छीन लेता है”
24 News Update उदयपुर, 11 जुलाई। झीलों की नगरी उदयपुर के पहाड़ा स्थित पद्मप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में शुक्रवार को चातुर्मासिक मंगल कलश स्थापना समारोह श्रद्धा, भक्ति और धर्म के भावों से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मति सागर गुरुदेव की परम्परा में प्रथम गणिनी आर्यिका विजयमति माताजी की शिष्या आर्यिका नमनश्री एवं आर्यिका विनयप्रभा ससंघ के सान्निध्य में चातुर्मास आरंभ हुआ। मंदिर प्रवक्ता संजय गुडलिया ने बताया कि इस अवसर पर कलश स्थापना, शांतिधारा, अभिषेक, जाप्य कलश, वस्त्रदान और शास्त्र भेंट जैसे विविध धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न हुए।मुख्य आराधना कलश व वस्त्र भेंट प्रकाशचंद्र प्रेमकांता अक्षय, सुशांत डूंगरिया, चार कलश बसंतीलाल-सुमति प्रकाश मूणावत, जाप्य कलश अनिल कुमार-प्रवीण सकरावत, और विशेष सहयोग शांतिलाल वेलावत, विजयलाल वेलावत ने दिया। वस्त्र भेंट नाथूलाल खलुडिया एवं शास्त्र भेंट पद्मावती-अमृतलाल गांधी (ईडर) द्वारा की गई।
सैंकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आर्यिका नमनश्री की निश्रा में शुक्रवार को मूलनायक भगवान का विशेष अभिषेक और शांतिधारा सम्पन्न हुई।
धर्मसभा में आर्यिका नमनश्री का प्रेरक प्रवचन
धर्मसभा में आर्यिका नमनश्री ने कहा कि “जीवन में असाता वेदनीय कर्म का उदय हमारी सुख-शांति छीन लेता है। हमें जख्म देने वाला नहीं, बल्कि जख्म भरने वाला बनना चाहिए।” उन्होंने आत्मकल्याण के मार्ग में संघाई और संगठिया की विराधनाओं से बचने का संदेश देते हुए कहा कि “पुरानी बातों का कचरा दिमाग में न रखें, ये हमारे भावों को दूषित करता है और कर्मों का बोझ बढ़ाता है।” आर्यिका ने उदाहरण देते हुए कहा कि “भाई कभी गाली नहीं देता लेकिन कषाय की अग्नि जलती है। ऐसे समय में यदि एक भाई घी बन जाए तो जलन शांत हो सकती है।” उन्होंने आग्रह किया कि “हमारा व्यवहार ऐसा हो कि किसी को हमारे कारण मानसिक या भावनात्मक चोट न पहुंचे।”
श्रद्धालुओं की रही विशाल उपस्थिति
समारोह में अध्यक्ष प्रकाश अदवासिया, परम संरक्षक सेठ धनराज सकावत, महामंत्री कमलेश चिबोडिया, रमेश चिबोडिया, अनिल सकरावत, दिनेश गुडलिया, वरदीचंद सेमालिया, मांगीलाल सलूम्बरिया, कन्हैयालाल जावरिया, डॉ. राजमल लखदार, गणेशलाल रूपज्योत सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
केशव नगर, पहाड़ा, आयड़ और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं कार्यक्रम में शामिल हुए।

