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भारत बना iPhone मैन्युफैक्चरिंग का नया हब, फॉक्सकॉन ने बेंगलुरु से शुरू किया iPhone 17 का उत्पादन

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नई दिल्ली/बेंगलुरु। एप्पल के लिए स्मार्टफोन बनाने वाली दिग्गज कंपनी फॉक्सकॉन ने भारत में एक और बड़ा मील का पत्थर छू लिया है। कंपनी ने बेंगलुरु के अपने नए प्लांट में iPhone 17 का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। यह फैक्ट्री चीन के बाहर फॉक्सकॉन की दूसरी सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरिंग साइट है, जिसमें करीब 25,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

चीन की चुनौती और भारत का जवाब

कुछ समय पहले चीन ने भारत में काम कर रहे अपने 300 से अधिक इंजीनियर और टेक्नीशियन अचानक वापस बुला लिए थे, जिससे iPhone 17 के उत्पादन की तैयारियां अटक गई थीं। यह कदम एप्पल की सप्लाई चेन के लिए बड़ा झटका माना गया। हालांकि फॉक्सकॉन ने अब ताइवान और अन्य देशों से विशेषज्ञ बुलाकर इस कमी को पूरा करना शुरू कर दिया है।

फिलहाल उत्पादन छोटे स्तर पर है, लेकिन कंपनी की योजना आने वाले महीनों में इसे मास प्रोडक्शन (बड़े पैमाने का उत्पादन) में बदलने की है।

चीनी इंजीनियरों की अहम भूमिका

अब तक फॉक्सकॉन की हाई-टेक असेंबली लाइन, फैक्ट्री डिजाइन और भारतीय कर्मचारियों के प्रशिक्षण का काम चीनी इंजीनियर संभालते रहे हैं। भारत सरकार ने इनके लिए विशेष वीजा सुविधा तक प्रदान की थी ताकि उत्पादन बाधित न हो। लेकिन बदलते हालात में अब कंपनी धीरे-धीरे भारतीय और अन्य देशों के विशेषज्ञों पर भरोसा बढ़ा रही है।

अमेरिका के लिए भारत बना बड़ा निर्यातक

भारत ने हाल ही में अमेरिका को स्मार्टफोन निर्यात में चीन को पछाड़ दिया है। रिसर्च फर्म कैनालिस के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून 2025 में अमेरिका में जितने स्मार्टफोन इम्पोर्ट हुए, उनमें से 44% मेड इन इंडिया थे। पिछले साल इसी अवधि में भारत का हिस्सा सिर्फ 13% था। वहीं चीन का हिस्सा 61% से घटकर 25% पर आ गया है।

यह बदलाव साफ संकेत देता है कि टैरिफ वॉर और भू-राजनीतिक तनावों के बीच ग्लोबल सप्लाई चेन अब चीन से हटकर भारत जैसे नए विकल्पों की ओर बढ़ रही है।

रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन

भारत में इस साल iPhone मैन्युफैक्चरिंग के नए रिकॉर्ड बने हैं।

भविष्य की तस्वीर

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत तेजी से iPhone मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है। एप्पल की रणनीति है कि 2026 तक अमेरिकी बाजार के लिए iPhone सप्लाई पूरी तरह भारत से हो। अगर यह लक्ष्य हासिल होता है तो यह भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन की दौड़ में नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।

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