24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। आसपुर मार्ग लोहारिया तालाब के सामने स्थित कान्हडदास दास धाम बड़ा रामद्वारा में चातुर्मास में शाहपुरा धाम के रामस्नेही संत तिलकराम ने सत्संग में बताया कि जब तक शरीर में सांस ह, तो शरीर है । संतो से ज्ञान, भक्ति व प्रीति की वर्षा होती है । कडवा नीम कई रोगों को मिटा देता है । घड़े की खोट निकालने के लिए कुंम्हार बार-बार थाप देता है सही आकार में ले आता है घड़े को अंदर सुरक्षित रखता व बाहर चोट मारता है उसी प्रकार गुरु कुम्हार की तरह होता है । खेत में बीज डालते समय वह उल्टा-सीधा, आड़ा-टेडा कैसे भी गिर जाऐ, वह पौधा बन जाता है वैसे ही राम का नाम है जो कल्याण करता है । संत ने कहा कि भक्तों में भ्रम हो गया की भगवान शंकर बड़े हैं या भगवान नारायण भक्तो के आपस में झगड़े से भगवान शंकर और नारायण भक्तों के समक्ष एक साथ प्रकट हुए और देखते ही देखते एक दूसरे में विलीन हो गए । भगवान शिव को सोमवार तथा नारायण को एकादशी प्रिय है । जिस पर भगवान शिव कृपा नहीं करते वह उनकी भक्ति नहीं पाता । जब कोई भक्त भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए व्याकुल होता है तो उसे लगता है कि उस पर भगवान की कृपा नहीं हो रही है । भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए उसे भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त करनी होगी अर्थात भगवान शंकर की कृपा नहीं होती उसे भगवान नारायण की भक्ति भी प्राप्त नहीं होती। संत ने कहा कि हमारा शरीर साथ कब छोड़ इससे पहले हमें प्रतिक्षण ,प्रतिफल ईश्वर का चिंतन करना चाहिए, क्योंकि हमारी मृत्यु के समय जैसे विचार होंगे वैसा ही जन्म मिलेगा । अतः मनुष्य को चाहिए कि वह अपने सांसारिक कर्मों यथा वृद्धि, व्यवसाय, नौकरी करने के साथ ईश्वर का नाम भी जोड़ ले । आत्मा व कर्म अनादि कालीन और अनंत कालीन है । आत्मा परमात्मा नहीं बनती । आत्मा को परमात्मा बनने के लिए भक्ति योग ,ज्ञान योग, और कर्म योग हैं । सबसे सरल उपाय भक्ति योग है भक्ति भक्त को भगवान बनाती है। प्रवक्ता बलदेव सोमपुरा ने संत प्रसाद बालमुकुंद शर्मा परिवार का रहा। सत्संग में समिति अध्यक्ष सुधीर वाडेल, विजय पंचाल ,विष्णु भावसार, जनक पंचाल ,सुरेंद्र शर्मा, अनिल सोनी, राधा पंचाल, शकुंतला शर्मा ,भानु सेवक, लक्ष्मी पंचाल, लक्ष्मी कलाल सहित रामस्नेही भक्त उपस्थित रहे।
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