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राजस्थान हाईकोर्ट में ऐतिहासिक न्यायिक विस्तार: पहली बार 43 न्यायाधीश कार्यरत, लंबित मामलों के शीघ्र निस्तारण की उम्मीद

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24 News Update. जोधपुर, 23 जुलाई। राजस्थान उच्च न्यायालय ने बुधवार को अपने इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक को साक्षी बनाया, जब सात नव नियुक्त न्यायाधीशों ने जोधपुर मुख्य पीठ में आयोजित समारोह में पद की शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश के.आर. श्रीराम ने सभी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। यह शपथ ग्रहण केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि न्यायिक इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक भी बना। इन नियुक्तियों के साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट में कार्यरत न्यायाधीशों की संख्या अब तक के सर्वोच्च आंकड़े 43 तक पहुंच गई है।
नव नियुक्त न्यायाधीशों में जस्टिस संदीप तनेजा, जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू, जस्टिस बिपिन गुप्ता, जस्टिस संजीत पुरोहित, जस्टिस रवि चिरानिया, जस्टिस अनुरूप सिंघी और जस्टिस संगीता शर्मा शामिल हैं। इनमें से छह अधिवक्ता कोटे से और एक न्यायिक सेवा से नियुक्त हुए हैं। इन नियुक्तियों के साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट देश के उन गिने-चुने उच्च न्यायालयों में शामिल हो गया है, जहां दो न्यायाधीश दंपत्ति कार्यरत हैं—जो अपने आप में एक अनोखा कीर्तिमान है।

वर्ष 2025 में राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायिक नियुक्तियों की गति उल्लेखनीय रही है। जनवरी में तीन और मार्च में चार नियुक्तियों के बाद अब जुलाई में सात नए न्यायाधीशों के शामिल होने से इस साल कुल 15 नियुक्तियां हो चुकी हैं, जो एक कैलेंडर वर्ष में अब तक की सबसे अधिक हैं। यह नियुक्ति प्रक्रिया न केवल न्यायिक क्षमता को बढ़ाने वाली है, बल्कि न्यायिक प्रशासन के प्रति सरकार और उच्चतम न्यायपालिका की सक्रियता का भी संकेत देती है। उच्च न्यायालय की स्थापना के समय वर्ष 1949 में जब 11 न्यायाधीशों ने शपथ ली थी, तब से लेकर अब तक का यह सफर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। संविधान लागू होने के बाद न्यायाधीशों की संख्या घटकर छह रह गई थी। वर्ष 2018 में स्वीकृत पदों की संख्या को 36 से बढ़ाकर 50 किया गया, जिसके बाद जुलाई 2023 तक 41 न्यायाधीश कार्यरत थे। अब, ताजा नियुक्तियों के साथ यह संख्या पहली बार 43 तक पहुंची है।

न्यायाधीशों की बढ़ती संख्या का प्रत्यक्ष संबंध उच्च न्यायालय में लंबित मामलों के तेजी से निस्तारण से जुड़ा हुआ है। 31 दिसंबर 2024 तक के उपलब्ध सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान हाईकोर्ट में कुल 6,82,946 प्रकरण लंबित थे। इनमें 1,64,450 दीवानी, 1,86,806 फौजदारी और 3,31,690 रिट याचिकाएं थीं। जोधपुर और जयपुर पीठों में विभाजित इन मामलों में सर्वाधिक बोझ रिट याचिकाओं का है, जो राज्य और नागरिकों के बीच बढ़ते संवैधानिक और प्रशासनिक विवादों को दर्शाता है।

इन लंबित मामलों में से 1,19,906 प्रकरण ऐसे हैं जो 10 वर्ष से भी अधिक समय से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इनमें 76,964 दीवानी, 35,937 फौजदारी और शेष विविध श्रेणियों के मामले शामिल हैं। यह संख्या न्याय व्यवस्था की मौजूदा चुनौतियों की गंभीरता को उजागर करती है, जिसे दूर करने के लिए न्यायिक नियुक्तियों का यह सिलसिला अहम भूमिका निभा सकता है।

राजस्थान हाईकोर्ट में स्वीकृत न्यायाधीशों की संख्या भले ही 50 हो, लेकिन वर्ष 2025 की शुरुआत में यह आंकड़ा 36 पर सिमटा हुआ था, यानी कुल स्वीकृत पदों में 28% रिक्तता बनी हुई थी। अब, सात नए न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण के बाद कार्यरत न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 43 हो गई है और रिक्त पदों की संख्या घटकर 7 (14%) रह गई है, जो अब तक की सबसे न्यूनतम रिक्तता दर है। वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 48% तक पहुंच गया था।

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