24 News Update जोधपुर | राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर की खंडपीठ ने भीलवाड़ा शहरी सुधार न्यास (यूआईटी) की विवादित भूखंड लॉटरी योजना पर अंतरिम रोक (स्टे ऑर्डर) जारी कर दी है।
न्यायमूर्ति डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने यह आदेश उस जनहित याचिका (PIL) पर दिया, जिसमें लॉटरी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार, सॉफ्टवेयर हेराफेरी और हितों के टकराव के गंभीर आरोप लगाए गए थे।
अदालत ने निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई तक किसी भी आवेदक को अलॉटमेंट लेटर जारी नहीं किया जाएगा, जिसके बाद यूआईटी की आवंटन प्रक्रिया अस्थायी रूप से रोक दी गई है।
गैर-प्रमाणित सॉफ्टवेयर से लॉटरी कराने का आरोप
याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष दावा किया कि यूआईटी ने पूरी लॉटरी प्रक्रिया एक निजी और गैर-प्रमाणित सॉफ्टवेयर के जरिए करवाई। इस सॉफ्टवेयर का न तो सुरक्षा ऑडिट हुआ था और न ही राज्य सरकार से कोई तकनीकी अनुमोदन प्राप्त था।
याचिका में कहा गया है कि इस हेराफेरी के ज़रिए कुछ प्रभावशाली आवेदकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।
अधिकारी पर परिजनों को लाभ पहुंचाने के आरोप
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उस समय के यूआईटी प्रभारी अधिकारी ने अपने परिजनों को सीधे या परोक्ष रूप से प्लॉट आवंटित किए। कुछ संपन्न परिवारों को एक से अधिक भूखंड मिले, जबकि गरीब और पात्र आवेदकों को वेटिंग लिस्ट में डाल दिया गया।
नियमों का उल्लंघन और वित्तीय विसंगतियां
PIL में यह भी कहा गया कि यह पूरी प्रक्रिया राजस्थान अर्बन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (डिस्पोज़ल ऑफ अर्बन लैंड) रूल्स, 1974 के नियम 10 और 26 का उल्लंघन करते हुए चलाई गई।
कई सफल आवेदकों के ITR और बैंक स्टेटमेंट में विसंगतियां पाई गईं, जिससे उनकी पात्रता संदिग्ध हो गई।
हाईकोर्ट का नोटिस, जवाब मांगा गया
खंडपीठ ने राज्य सरकार और यूआईटी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने यूआईटी से पूछा है कि उसने इस सॉफ्टवेयर का चयन किस प्रक्रिया से किया और किन मानदंडों के आधार पर पारदर्शिता सुनिश्चित की। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मंगलवार से शुरू हुआ दस्तावेज़ सत्यापन कार्यक्रम फिलहाल जारी रहेगा।
अगली सुनवाई में यूआईटी को देना होगा जवाब
अगली सुनवाई में अदालत यूआईटी से यह स्पष्ट करने को कहेगी कि उसने लॉटरी प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए। फिलहाल कोर्ट के आदेश के बाद पूरी आवंटन प्रक्रिया ठप हो गई है और सैकड़ों आवेदकों की प्रतीक्षा बढ़ गई है।
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