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श्रावण के पहले सोमवार पर गूंजा हर-हर महादेव: परशुराम महादेव गुफा मंदिर में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

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24 न्यूज अपडेट, पाली। श्रावण मास के पहले सोमवार को पाली जिले के प्रसिद्ध परशुराम महादेव गुफा मंदिर में शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। अरावली पर्वतमाला की 3955 फीट ऊंचाई पर स्थित इस प्राचीन गुफा मंदिर में अलसुबह से ही ‘हर-हर महादेव’ के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया। हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान परशुराम महादेव के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया।

पंचामृत से हुआ अभिषेक, सजे भोलेनाथ
सुबह 5 बजे मंदिर के महंत हरिहर पूरी गोश्वामी और मुख्य पुजारी कमलेश पूरी गोश्वामी द्वारा भगवान परशुराम महादेव का पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक किया गया। इसके पश्चात पीतांबर वस्त्र, जनेऊ, आभूषण, केसर और चंदन से भगवान का दिव्य श्रृंगार किया गया। महाआरती के साथ मंदिर को पूरे 24 घंटे के लिए दर्शनार्थियों के लिए खोला गया है।

अद्भुत प्राकृतिक शिवलिंग और गोमुख का चमत्कार
मंदिर के गर्भगृह में स्थित प्राकृतिक शिवलिंग पर गुफा में बनी गोमुख से निरंतर जल की बूंदें गिरती हैं, जो शिवलिंग का स्वाभाविक जलाभिषेक करती हैं। यह दृश्य श्रद्धालुओं को अमरनाथ जैसा अनुभव कराता है। मंदिर के समीप स्थित परशुराम कुंड को पुष्कर तीर्थ के समकक्ष माना गया है। मान्यता है कि चारों धाम की यात्रा के बाद यहां के दर्शन से यात्रा पूर्ण मानी जाती है।

राजस्थान का अमरनाथ: लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र
पाली जिले के सादड़ी कस्बे से 14 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर राजस्थान का अमरनाथ कहलाता है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान परशुराम ने स्वयं इस मंदिर की रचना की और यह उनकी तपोभूमि रही है। प्रतिवर्ष 10 से 15 लाख श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। कुंडधाम ट्रस्ट द्वारा मंदिर परिसर व पार्किंग स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। गुफा मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष गणेशसिंह परमार व व्यवस्थापक अंबालाल गुर्जर स्वयं व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं, ताकि किसी श्रद्धालु को असुविधा न हो।

आसपास के शिवालयों में भी शिवभक्ति की बयार
श्रावण सोमवार के अवसर पर मादा मंगलेश्वर महादेव, सेजिया महादेव, आखरिया महादेव, लीलेश्वर महादेव और परशुराम बगेची सहित आसपास के शिव मंदिरों में भी श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक व रुद्राभिषेक कर शिवभक्ति में लीनता दिखाई। मंदिरों में स्थानीय ट्रस्ट व ग्राम समितियों द्वारा सेवा शिविर और प्रसादी की व्यवस्थाएं की गईं।

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