24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। राजकीय राजसेस कॉलेजों में सेवाएँ दे रहे अतिथि सहायक आचार्यों ने 20 नवंबर को उपखंड अधिकारी सुबोध सिंह चारण को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर विद्या संबल योजना के तहत कार्यरत अतिथि सहायक आचार्यों के समायोजन की मांग उठाई।
अतिथि सहायक आचार्यों ने ज्ञापन में राज्य सरकार की दोहरी नीति का विरोध जताते हुए बताया कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सत्र 2021-22 से संचालित इस योजना में वर्तमान में लगभग 2700 अतिथि सहायक आचार्य सेवाएँ दे रहे हैं। इनका चयन यूजीसी नियम एवं रेगुलेशन 2018 के अनुसार आयुक्तालय द्वारा निर्देशित मेरिट आधारित प्रक्रिया से किया गया था। शिक्षकों ने कहा कि उनकी योग्यता, कार्य अनुभव और चयन प्रक्रिया नियमित शिक्षकों के समान है, लेकिन सरकार उन्हें स्थायी अवसर नहीं दे रही है।
आचार्यों ने हरियाणा सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां हाल ही में हरियाणा विस्तारित प्राध्यापक एवं अतिथि प्राध्यापक सेवा (सुनिश्चितता) विधेयक 2024 पारित कर अतिथि शिक्षकों को स्थायी रोजगार प्रदान किया गया है। इसी तर्ज पर राजस्थान में भी स्थायीकरण की व्यवस्था लागू करने की मांग की गई।
आचार्यों ने यह भी बताया कि दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों में अतिथि शिक्षकों को नियमित सेवा लाभ दिए जा चुके हैं, जबकि राजस्थान में अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। शिक्षकों ने रोष जाहिर करते हुए कहा कि सरकार ने 3540 पदों पर नियमित नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि वर्षों से कार्यरत विद्या संबल शिक्षकों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
आचार्यों का कहना है कि उनकी सेवाओं को राजसेस के स्वीकृत पदों पर समायोजित किया जाए, जिससे शिक्षा व्यवस्था को अनुभवी और विशेषज्ञ शिक्षकों का लाभ मिल सके।
इस अवसर पर डॉ. मिलिंद व्यास, डॉ. गोविंद लाल सर्गरा, डॉ. वासुदेव बलाई, डॉ. शुभांग व्यास, महावीर प्रसाद योगी, राजेश अटल उपस्थित रहे।
समायोजन की मांग को लेकर अतिथि सहायक आचार्यों ने उपखंड अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

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