24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। आरोग्य समिति एवं राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय, सिन्धी बाजार, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में 44वें निःशुल्क पंचकर्म चिकित्सा शिविर का शुभारंभ आज पारंपरिक रूप से भगवान धन्वंतरि के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। यह शिविर आयुर्वेदिक परंपरा एवं आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के संगम का प्रतीक है, जिसमें पंचकर्म चिकित्सा के माध्यम से रोगियों को प्राकृतिक, प्रभावशाली एवं सुरक्षित उपचार प्रदान किया जा रहा है।
इस शिविर का उद्देश्य पंचकर्म चिकित्सा पद्धति के प्रति जनमानस में बढ़ती जागरूकता को प्रोत्साहित करना और आमजन को प्राकृतिक जीवनशैली अपनाने हेतु प्रेरित करना है। आयुर्वेद को जन-जन तक पहुँचाने की दिशा में यह शिविर एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो समाज को रोगमुक्त और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन देने का मार्ग प्रशस्त करता है।
पिछले तीन वर्षों में आयोजित 43 पंचकर्म चिकित्सा शिविरों के माध्यम से सैकड़ों रोगियों को स्थायी राहत प्रदान की गई है। इन शिविरों में जोड़ों का दर्द, घुटनों की समस्याएं, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, साइटिका, माइग्रेन, एवीएन , एड़ी दर्द, अनिद्रा और बाल झड़ने जैसे जटिल रोगों का पंचकर्म चिकित्सा द्वारा सफल उपचार किया गया है। रोगियों को न केवल तत्काल राहत मिली, बल्कि उनकी जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं।
वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी एवं प्रभारी वैद्य डॉ. शोभालाल औदीच्य ने जानकारी देते हुए बताया कि पंचकर्म चिकित्सा केवल लक्षणों का शमन नहीं करती, बल्कि शरीर की गहराई से शुद्धि कर रोग की जड़ तक पहुंचती है। वर्षा ऋतु में वात दोष की प्रधानता को ध्यान में रखते हुए शिविर में ऐसे पंचकर्मों का चयन किया गया है जो इस मौसम में विशेष रूप से लाभकारी माने जाते हैं।
शिविर में विभिन्न पारंपरिक पंचकर्म चिकित्सा विधियाँ की जा रही हैं, जिनमें कटी बस्ती, जानु बस्ती और ग्रीवा बस्ती जैसे विशेष उपचार शामिल हैं, जो कमर, घुटने और गर्दन के दर्द में लाभकारी हैं। नस्य चिकित्सा साइनस, सिरदर्द और बाल झड़ने की समस्याओं में कारगर है। सर्वांग स्वेदन द्वारा पूरे शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकाला जाता है, वहीं स्थानिक अभ्यंग द्वारा विशेष भागों की तेल मालिश की जाती है जो मांसपेशियों को शिथिल करती है।
शिरोधारा और शिरोबस्ती मानसिक शांति, अनिद्रा और तनाव में विशेष लाभकारी मानी जाती हैं। धारास्वेदन में औषधीय द्रव्यों की गर्म धारा शरीर पर दी जाती है, जो वात दोष को शांत करती है। षष्ठिशाली पिंडस्वेद एक विशेष पद्धति है जो शरीर को बल एवं पोषण प्रदान करता है। बस्तिकर्म, जो कि वात रोगों की मुख्य चिकित्सा मानी जाती है, भी इस शिविर में विशेषज्ञों द्वारा कराया जा रहा है।
इस शिविर में एक समर्पित एवं अनुभवी चिकित्सा टीम द्वारा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। प्रमुख चिकित्सा विशेषज्ञों में डॉ. शोभालाल औदीच्य प्रभारी अधिकारी, डॉ. संजय माहेश्वरी, डॉ अंकिता सियाल ,डॉ. नितिन सेजू, डॉ. कविता चौधरी, डॉ ऋत्वि कुमावत, डॉ लेखा खत्री सम्मिलित हैं। इनके मार्गदर्शन में रोगियों को संपूर्ण एवं समग्र आयुर्वेदिक देखभाल प्रदान की जा रही है।
सहायक स्टाफ के रूप में वरिष्ठ नर्स इंदिरा डामोर, कंपाउंडर शंकरलाल खराड़ी, कंचन कुमार डामोर, चंद्रेश परमार, कन्हैयालाल नागदा और हेमंत पालीवाल, नर्स वंदना शक्तावत अंजना बारोट एवं रुक्मणि गायरी, तथा परिचारक गजेंद्र आमेटा, लालुराम गमेती, देवीलाल मेघवाल अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन सभी की सेवा भावना, अनुशासन एवं कार्यकुशलता के कारण शिविर की गतिविधियाँ सुव्यवस्थित रूप से संचालित हो रही हैं।
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