24 Nes Update जयपुर। प्रदेश की नगरीय निकायों में सफाईकर्मी पद पर नियुक्त होकर दफ्तरों में बाबू, सहायक या चपरासी का काम कर रहे कर्मचारियों पर अब विभागीय कार्रवाई होगी। स्वायत्त शासन निदेशालय ने आदेश जारी करते हुए सभी नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे कर्मचारियों को तुरंत उनके मूल काम यानी सफाई कार्य में फील्ड पर लगाया जाए।
21 हजार से ज्यादा भर्ती, लेकिन काम दफ्तरों में
साल 2018 में राज्य में करीब 21 हजार से ज्यादा सफाईकर्मी पदों पर सीधी भर्ती की गई थी। यह भर्ती कैटेगरीवार लॉटरी सिस्टम से हुई थी। लेकिन अब बड़ी संख्या में कर्मचारी सफाई कार्य करने के बजाय दफ्तरों में बाबू, जूनियर असिस्टेंट या अन्य छोटे पदों पर बैठे हैं। कई कर्मचारी तो विधायकों, मंत्रियों और अन्य जनप्रतिनिधियों के निजी सहायक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। नतीजतन निकायों में सफाई व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है और नगर निकायों को मजबूरी में ठेका कर्मियों से काम करवाना पड़ रहा है।
हर माह गूगल शीट पर अपलोड होगी उपस्थिति
निदेशालय ने सभी निकायों को आदेश दिया है कि कर्मचारियों की एरिया वाइज उपस्थिति अब हर माह गूगल शीट पर अपलोड कर विभाग को भेजी जाए। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि कौन कर्मचारी फील्ड में सफाई कर रहा है और कौन दफ्तर में बैठा है।
दूसरी जगह लगे कर्मचारियों को भी बुलाने के आदेश
कई सफाईकर्मी वर्तमान में जिलों के कलेक्ट्रेट या अन्य सरकारी कार्यालयों में कार्यरत हैं। स्वायत्त शासन विभाग ने इन्हें भी तत्काल निकायों में वापस बुलाकर मूल सफाई कार्य में फील्ड पर लगाने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने साफ किया है कि यदि कोई कर्मचारी आदेश मानने से इंकार करता है तो उसके खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी। सरकार का कहना है कि सफाई कर्मचारियों को नियुक्त करने का उद्देश्य शहरों की स्वच्छता व्यवस्था दुरुस्त करना था। दफ्तरों में बैठकर दूसरी भूमिकाओं में काम करना न केवल अनुचित है बल्कि व्यवस्था पर भी बोझ है। अब सभी कर्मचारियों को उन्हीं की नियुक्ति के मूल काम में फील्ड पर लगाया जाएगा।
दफ्तरों में बैठे सफाई कर्मचारियों पर सरकार सख्त: अब सभी को फील्ड में सफाई कार्य पर लगाया जाएगा

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