– आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन की धूम जारी
24 News Update उदयपुर। तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कच्छवागड़ देशोद्धारक अध्यात्मयोगी आचार्य श्रीमद विजय कला पूर्ण सूरीश्वर महाराज के शिष्य गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय कल्पतरु सुरीश्वर महाराज के आज्ञावर्तिनी वात्सलयवारिधि जीतप्रज्ञा महाराज की शिष्या गुरुअंतेवासिनी, कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सोमवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की।
आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सोमवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने प्रवचन में बताया किवास्तव में हमारे ऊपर परमात्मा का बहुत बड़ा उपकार है कि उन्होंने हमारा संपूर्ण दु:ख टालने का और हमें चिरस्थायी रूप से सुखी बनाने के लिए सुंदर और सरल मार्ग बतलाया है। परमात्मा स्वयं इम मार्ग पर चलकर सुखी बने हैं और साथ-साथ हमें भी सुखी बनने का मार्ग बतलाया है। इस प्रकार परम तारक परमात्मा का हमारे ऊपर अनगिनत उपकार है। हम करोडो वर्ष तक उनकी अखण्ड सेवा करते रहें फिर भी उनके इस उपकार का बदला नहीं चुकाया जा सकता। उन्होंने आगे बताया कि जैसे हम खतरनाक जंगल में फंस गए हों या यथाह समुद्र में डूब रहे हमें बचने का कोई सहारा न हो, ऐसे अवसर पर हमारी जान बचाने वाला कोई मिल जाए तो हमें नेह व्यक्ति कैसा लगेगा? यही सोचेंगे ना कि यदि वह नहीं मिला होता तो हमारी मृत्यु निश्चित थी, हमारा विनाश निश्चित था। बचने की कोई आशा नहीं थी, लेकिन उस व्यक्ति ने हमें मौत के मुख से बचा लिया।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागोरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, चतर सिंह पामेच, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भण्डारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।
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