24 News Update सागवाडा,12 जुलाई। नगर के आसपुर मार्ग लोहारिया तालाब के सामने स्थित कान्हडदास दास धाम बड़ा रामद्वारा में चातुर्मास कर रहे रामस्नेही संत तिलकराम महारात ने सत्संग में बताया कि जिन्होंने परमात्मा का सुमिरण किया वह भवसागर को पार हो जायेगा दु:खों का निवारण ही परमात्मा करता है, परमात्मा भक्तों को नहीं भूलता मगर भक्त अपने कर्मों से भूल जाता है।
संत ने कहा गुरु के चरणो के दास होने से मन में प्रकाश हो जाता है ,मन को मारने से ही राम के भक्त हो सकते हैं। संत कहो चाहे राम ,संत राम के स्वरूप ही है ,गुरु- गोविंद एक ही है। सोने से महान पारस होता है ,जब तक शरीर में सांस है तब तक उसकी कीमत है। मां की महिमा बड़ी निराली है ,उनके मार्गदर्शन से हमें भगवान के दर्शन भी हो जाते हैं मां का हमेशा मान- सम्मान एवं आदर करना चाहिए। भगवान का सुमिरण करने पर ही कल्याण होगा यह संसार एक जेल है हमारा मन इसमें बंधा रहता है ,इसे सद्गुरु के चरणों में जाकर एवं सत्संग में जाकर ही भवसागर को पार किया जा सकता है। संत ने बताया कि परमात्मा की सिद्धि लिए मनुष्य को चाहिए कि वह निर्भय, निशंक और अनन्याश्रित होकर भगवतभक्ति में रत रहे ऐसे पथिक का मन सत्संग और स्वाध्याय के माध्यम से शुद्ध होता है सत्संग, जो की सज्जनों की संगति है, व्यक्ति के जीवन को न केवल दिशा देता है ,अपितु उसे आत्मा- कल्याण की और अग्रसर करता है। स्वाध्याय ,जो शास्त्रों का अध्ययन है ,मन में विवेक उत्पन्न करता है और देवीय गुणो की स्थापना करता है। इन दो माध्यमों से मनुष्य सहज ही भगवान की कृपा और करुणा का अधिकारी बन जाता है। प्रवक्ता बलदेव सोमपुरा ने बताया संत प्रसाद दिना- अनूप परमार परिवार का रहा। सत्संग में रामस्नेही नाथू परमार ,देवीलाल सोनी, विष्णु दोसी, दिनेश शर्मा, विजय पंचाल, रमेश राठोड के अतिरिक्त संगीता सोनी, अनीता सुथार, प्रेमलता सुथार, गुलाब भावसार ,शकुंतला भावसार सहित रामस्नेही भक्त उपस्थित रहे। फोटो-12 एसएजी 1। रामद्वारा में सत्संग करते संत व उपस्थित भक्तजन। जयदीप जोशी
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