Site icon 24 News Update

बकरी पालन व्यवसाय: महिलाओं के लिए स्वावलंबन की नई राह, दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

Advertisements

24 news update udaipur. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना एवं अखिल भारतीय कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजना के संयुक्त तत्वाधान में झाड़ोल और फलासिया की स्वयं सहायता समूहों की 30 महिलाओं तथा गुडली के 2 स्वयं सहायता समूहों की 40 महिलाओं के लिए बकरी पालन व्यवसाय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम 24 और 25 फरवरी 2025 को राजस्थान कृषि महाविद्यालय में संपन्न हुआ।

प्रशिक्षण का उद्देश्य और लाभ

प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को स्वावलंबी बनाना और बकरी पालन व्यवसाय के माध्यम से उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना था। प्रो. अरविंद वर्मा, निदेशक अनुसंधान, ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी सरकारी योजनाएं कृषक परिवारों को लाभान्वित कर रही हैं। इस वर्ष इस योजना के तहत 6 से 7 करोड़ रुपये की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिससे उदयपुर और आसपास के किसानों को लाभ मिलेगा। उन्होंने इस कार्यक्रम को महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।

बकरी पालन: ‘गरीब की गाय’ और ‘चलता-फिरता ए.टी.एम.’

बकरी पालन को अक्सर ‘गरीब की गाय’ और ‘चलता-फिरता ए.टी.एम.’ कहा जाता है क्योंकि यह व्यवसाय कम लागत में शुरू किया जा सकता है और इससे नियमित आय अर्जित करना संभव होता है। प्रशिक्षण में बताया गया कि बकरी पालन करने वाले जरूरत पड़ने पर बकरियों को बेचकर तत्काल नकदी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे यह एक सुरक्षित आर्थिक विकल्प बन जाता है।

महिलाओं को मिली तकनीकी जानकारी

डॉ. विशाखा बंसल, राष्ट्रीय कृषि विकास परियोजना की प्रभारी, ने बताया कि इस प्रशिक्षण में महिलाओं को न केवल बकरी पालन से जुड़ी बारीकियां सिखाई गईं, बल्कि उन्हें महिला स्वयं सहायता समूहों की कार्यप्रणाली से भी अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि झाड़ोल और फलासिया में 10 नए स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं, जिन्हें कृषि आधारित व्यवसायों में प्रशिक्षित किया जाएगा।

प्रशिक्षण में बकरियों की नस्लों, रोगों, उनके इलाज, एवं सरकारी सहायता योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने बकरियों की बीमारियों के लक्षण, टीकाकरण, एवं पोषण प्रबंधन के बारे में चर्चा की। उदाहरण के लिए, यदि बकरी को आफरा (गैस भरना) हो जाए, तो बायें तरफ इंजेक्शन लगाने जैसी तकनीकी जानकारी महिलाओं को दी गई।

विशेषज्ञों ने साझा किया अनुभव

इस प्रशिक्षण में कई अनुभवी विशेषज्ञों ने भाग लिया:

इन विशेषज्ञों ने बकरी पालन की आधुनिक तकनीकों, व्यवसाय प्रबंधन, एवं मार्केटिंग रणनीतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

महिलाओं को स्वावलंबन से जोड़ने की पहल

प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को आय संवर्धन से जोड़ने और उन्हें स्वावलंबी बनाने पर विशेष जोर दिया गया। इस अवसर पर

ने महिलाओं को पशुपालन इकाइयों का भ्रमण कराया, जिससे वे बकरी पालन व्यवसाय के व्यावहारिक पक्ष को समझ सकें।

निष्कर्ष

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ, बल्कि यह उन्हें एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर ले जाने वाला कदम भी बना। इससे वे अपने स्वयं के व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालित कर सकेंगी और परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकेंगी। बकरी पालन के माध्यम से महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं और गांवों में स्वरोजगार को बढ़ावा दे सकती हैं

यह पहल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकेंगी और समाज में अपनी एक अलग पहचान बना सकेंगी।

Exit mobile version