24 News Update उदयपुर। जंगलों की रक्षा की शपथ लेने वाले दो वनरक्षक तब वन-भक्षक बन बैठे, जब लालच ने उनका नैतिक पतन उजागर कर दिया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, डूंगरपुर इकाई ने खैरवाड़ा वन रेंज के कातरवास वन नाके पर बड़ी कार्रवाई करते हुए दो वनरक्षकों—महेश कुमार मीणा और विजेश अहारी—को ₹80,000 की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक पुलिस गोविंद गुप्ता ने बताया कि ब्यूरो को परिवादियों की ओर से शिकायत मिली थी कि वे नीलगिरी व सेमल की लकड़ी के वैध व्यापार से जुड़े हैं। परिवादी की दो गाड़ियां—एक फलासिया से और दूसरी झाड़ोल से—लकड़ी लेकर खैरवाड़ा जा रही थीं। दोनों के पास विधिवत बिल थे, लेकिन 30 नवंबर की सुबह वन विभाग के कातरवास नाके पर दोनों ट्रकों को रोक लिया गया।
आरोप है कि बिना किसी वैधानिक कार्यवाही के, वाहन RJ 09 AU 1283 को छोड़ने के एवज में दोनों वनरक्षक 80 हजार रुपये की रिश्वत की मांग पर अड़े थे। शिकायत की पुष्टि के बाद एसीबी ने योजना बनाकर ट्रैप कार्रवाई शुरू की।
आज, सोमवार को उप महानिरीक्षक डॉ. रामेश्वर सिंह के सुपरविजन में और डूंगरपुर एसीबी प्रभारी रतन सिंह राजपुरोहित (डीएसपी) के नेतृत्व में इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह व टीम ने दोनों आरोपी वनरक्षकों को रिश्वत लेते ही धर-दबोचा। नोटों पर रासायनिक परीक्षण सहित समस्त कार्रवाई मौके पर की गई।
महानिदेशक ने बताया कि यह कार्रवाई साबित करती है कि वन संपदा की सुरक्षा के नाम पर यदि कोई अधिकारी घूस की दरख्वास्त करेगा तो एसीबी उसे बख्शेगी नहीं।
अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस (एसीबी) स्मिता श्रीवास्तव के निर्देशन में दोनों आरोपियों से पूछताछ जारी है और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर आगे की जांच की जा रही है।
वनरक्षक बने वन-भक्षक एसीबी ने खैरवाड़ा रेंज के दो वनरक्षकों को 80 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोचा

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