24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के आसपुर मार्ग योगिन्द्र गिरी तलहट पर स्थित श्रीप्रभुदास धाम रामद्धारा मे चातुर्मास के अन्तर्गत मेडता धाम के संत रामनिवास शास्त्री महाराज ने राम कथा में कहा – मूर्ख लोग सुख में प्रसन्न होते हैं व दुख में रोते हैं परंतु धीर पुरुष अपने मन में दोनों को समान समझते हैं ।
संत शास्त्री ने कहा दुख के समय धीरज रखनी चाहिए और शोक का परित्याग करना उचित है । सुमंत अयोध्या आकर रामचंद्र जी की सारी बातें राजा दशरथ को बताते है । राजा दशरथ सब सुनकर पृथ्वी पर गिर पड़े । ह््रदय मे जलन होने लगी वे तड़पने लगे । इस महान विपत्ति का वर्णन किया जाना असंभव है । तब राजा दशरथ को श्रवण कुमार के पिता के द्वारा दिये गये श्राप की याद आई अब पुत्र वियोग मे मेरी मृत्यु निश्चित है। राम-राम कहते हुए राम के विरह में शरीर त्याग कर स्वर्ग लोक सिधार गए । संत ने कहा जीने और मरने का फल दशरथ जी ने प्राप्त किया । जीते जी रामचंद्र के मुख को देख कर और मरते समय राम-राम का स्मरण कर जीवन सुधार लिया । मानव को भी अंतिम समय में भगवान का स्मरण करना चाहिए । भगवान के स्मरण मात्र से परमगति प्राप्त होती है। मन मं और किसी प्रकार की कामना नही रखनी चाहिए । जो दूसरों का अनिष्ट करता है अपने ही शरीर का पोषण करता है वह बड़ा निर्दयी है । वह हरि का भक्त नहीं हो सकता साधु पुरुष दुखी मनुष्य के दोष गुणो को नहीं गिनते । कानों से सुनी बात झूठी हो सकती है धोखा भी हो सकता है आंखों देखी बात सच होती है। भरत कोशल्या संवाद ,दशरथ की अन्तेष्टि क्रिया आदि प्रंसग की चर्चा शास्त्री ने कही। व्यर्थ मे किसी पर क्रोध नही करना चाहिए। जीवन और मरण मनुष्य के हाथ मे नही है। यह सब विधाता के हाथ मे है। ग्रहस्थ को मोह के कारण कर्म का त्याग न ही करना चाहिए। सन्यासी को दुनिया के प्रपंच मे नही पडना चाहिए। माता पिता गुरू एवं भाई बन्धु का विरोध नहीं करना चाहिए। संत ने कथा के दौश्रान कुछ पल की जीन्दगानी, इक रोज सबको जाना.. सहि भजन प्रस्तृत किये जिस पर भक्तजन झुमे। विभिन्न वाद्ययंत्रो पर केलाश माकड, लोकेश ठाकुर,मंगलेश भाटी,लता तायल आदी ने संगत दी। संत तउदयराम महाराज के सानिध्य पण्डित विनोद त्रिवेदी के मंत्रोच्चार पर विश्वामणी / शिवराम भावसार परिवार ने पोथी और व्यासपीठ का पूजन किया। इस अवसर पर रमाकांत भावसार, गणेश भावसार लक्ष्मण, प्रसाद भावसार,.बादल, कमल शर्मा, , लक्ष्मण, बादल,गणेश भावसार, हर्षित, हेमंन्त भावसार महेश,प्रभाशंकर फलोत, नयन, हेमंत शुक्ला, राजु भाई भावसार, हेमंत भावसार, मधुकर भावसार,राजेंद्र शुक्ला, लाला भाई भावसार पिंकी भावसार, मधुकान्ता भावसार, मंजुला शुक्ला,नयना त्रिवेदी, भावना भावसार, मीना भावसार सहित रामस्नही भक्त उपस्थित रहे।
मूर्ख लोग सुख में प्रसन्न होते व दुःख में रोते हैं-संत रामनिवास शास्त्री

Advertisements
