24 News Update डूंगरपुर। जिले के दोवड़ा थाना क्षेत्र में चोरी के आरोप में हिरासत में लिए गए युवक दिलीप अहारी की पूछताछ के दौरान तबीयत बिगड़ने और इलाज के दौरान 30 सितंबर को मौत के मामले ने प्रशासन और परिजन के बीच तनाव पैदा कर दिया है। इस घटना के बाद एसपी मनीष कुमार ने दोवड़ा थाना के सीआई तेजकरण चारण, एएसआई वल्लभ राम पाटीदार, हैड कॉन्स्टेबल सुरेश कुमार, कॉन्स्टेबल पुष्पेंद्र सिंह और माधव सिंह को निलंबित कर दिया है।
परिजन और आदिवासी समाज के लोग कलेक्ट्री के सामने धरने पर बैठ गए हैं। इस मामले में आसपुर विधायक उमेश मीणा, अनुतोष रोत, कांति भाई समेत 10 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल बुधवार को एडीएम दिनेशचंद्र धाकड़ और एएसपी अशोक कुमार के साथ तीसरे दौर की वार्ता में शामिल हुआ। प्रशासन ने 25 लाख रुपये की सहायता राशि देने की सहमति जताई, जबकि
प्रतिनिधि मंडल 1 करोड़ रुपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग पर अड़ा हुआ है।
परिजन का विरोध, पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ
विधायक उमेश मीणा ने कहा कि मृतक परिजनों की मांगों पर प्रशासन और सरकार अनसुनी कर रही है। परिजनों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, शव का पोस्टमॉर्टम नहीं कराया जाएगा। उनका आरोप है कि पुलिस ने पूछताछ के दौरान मारपीट की, जिसके कारण युवक की तबीयत बिगड़ी और उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।
थाने में पूछताछ में कैसे बिगड़ी तबीयत
मामला 25 सितंबर का है, जब दोवड़ा थाना पुलिस ने चोरी के आरोप में दिलीप अहारी को हिरासत में लिया था। पूछताछ के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ी और उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। 26 सितंबर को गंभीर हालत में उसे उदयपुर रेफर किया गया, लेकिन 30 सितंबर को इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई।
प्रतिनिधि मंडल की मांगें
वार्ता में प्रभारी मंत्री बाबूलाल खराड़ी, एमपी मन्नालाल, एमपी राजकुमार रोत, विधायक उमेश मीणा, विधायक अनिल कटारा, कलेक्टर अंकित कुमार और एसपी मनीष कुमार मौजूद रहे। प्रतिनिधि मंडल ने पांच निलंबित पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने, मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपये मुआवजा देने, और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए वार्ता जारी रखी है और फिलहाल मुआवजा राशि पर अंतिम निर्णय की प्रक्रिया चल रही है।
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