24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। शांत रात अचानक चीखों और लपटों में तब्दील हो गई, जब छतरी गांव में एक कच्चे घर में आग लगने से दो मासूमों की जलकर मौत हो गई। चार बच्चों में से केवल दो को बचाया जा सकाकृबाकी दो बच्चे, भाई-बहन, लपटों के बीच कोयले में तब्दील हो गए। यह हादसा किसी दुःस्वप्न से कम नहीं थाकृन केवल उनके माता-पिता के लिए, बल्कि पूरे इलाके के लिए।
मां-बाप की गोद से छूट गई जिंदगी
बुधवार रात करीब 8 बजे, प्रभुलाल गमेती के घर अचानक आग भड़क उठी। चार बच्चों के साथ उनका पूरा परिवार घर में मौजूद था। आग इतनी तेजी से फैली कि कुछ ही मिनटों में पूरा घर धधक उठा। पिता प्रभुलाल और मां पुष्पा जान जोखिम में डालकर अंदर भागे और दो बच्चों 10 साल का सुमित और 9 साल की सकीना को किसी तरह बचा लाए। लेकिन जीनल (14) और सिद्धार्थ (8) को आग से बाहर निकालने से पहले ही वे जलकर राख हो गए।
मां-बाप की चीखें गांव की रात चीर गईं
आग की लपटों से झुलसे माता-पिता की चीखें पूरे मोहल्ले में गूंज उठीं। आसपास के लोग दौड़े आए, मगर तब तक देर हो चुकी थी। गांव वालों की मदद से किसी तरह आग बुझाई गई, लेकिन भाई-बहन की जली हुई लाशें देख हर आंख नम हो गई। प्रारंभिक जांच में हादसे के कारणों को लेकर संशय बना हुआ है। थानाधिकारी देवेंद्र सिंह के अनुसार आग शॉर्ट सर्किट या किसी ज्वलनशील पदार्थ से लगी हो सकती है। वहीं, मृतक की भाभी गीता बाई ने बताया कि घर की छत पर तिरपाल और छोपड़ी थी। पास में ही बिजली का एक पोल था, जिससे तार टूटकर छत पर गिर गया और आग लग गई।
गांव में मातम, प्रशासन के सवाल
दो बच्चों की दर्दनाक मौत और दो अन्य के बुरी तरह झुलसने की खबर ने पूरे इलाके में मातम फैला दिया है। शवों को खेरवाड़ा हॉस्पिटल की मोर्चरी में रखा गया है और पोस्टमार्टम की तैयारी चल रही है। दूसरी ओर, यह सवाल उठता है कि अगर बिजली की सुरक्षा व्यवस्था समय पर होती, तो क्या ये जानें बचाई जा सकती थीं? प्रभुलाल की छोटी-सी चाय की दुकान और उनका कच्चा घर अब राख का ढेर है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा कुछ और जल चुका है, एक मां की ममता, एक पिता की उम्मीद और एक गांव की मासूमियत।
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