24 News Update जयपुर। राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं को लेकर कर्मचारी चयन बोर्ड का ताजा फैसला छात्रों और शिक्षा जगत में हैरानी पैदा कर रहा है। बोर्ड ने आदेश जारी कर दिया है कि चतुर्थ श्रेणी भर्ती परीक्षा (19 से 23 सितम्बर) के दौरान कोई भी कोचिंग संचालक, शिक्षक या अन्य व्यक्ति पेपर का विश्लेषण (एनालिसिस) या चर्चा (डिस्कशन) नहीं करेगा।
बोर्ड अध्यक्ष आलोक राज के अनुसार परीक्षा बीच में कोई भी ऑनलाइन या ऑफलाइन डिस्कशन साझा करना “परीक्षा में व्यवधान” माना जाएगा और इसके खिलाफ कार्रवा की जाएगी। लेकिन यह फैसला छात्रों के लिए राहत से ज्यादा परेशानियां खड़ी कर रहा है। शिक्षा विशेषज्ञों और अभ्यर्थियों का कहना है कि चयन बोर्ड खुद पेपर लीक और गड़बड़ियों को रोकने में विफल रहा है, और अब अपनी नाकामी छुपाने के लिए ऐसे हास्यास्पद नियम गढ़ रहा है।
छात्रों के सवाल –
अगर पेपर पर चर्चा हो भी गई तो दूसरी पारी पर असर कैसे पड़ जाएगा?
आखिर आप ऐसा पेपर क्यों बनाते हैं जिसका जवाब पहली पारी की चर्चा से प्रभावित हो सकता है?
एआई और इंटरनेट के जमाने में क्या वाकई डिस्कशन रोकना संभव है?
अभ्यर्थियों का कहना है कि चयन आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाने की बजाय “डरपोक फैसले” ले रहा है। पेपर सुरक्षित कराने के लिए सिस्टम को फुलप्रूफ बनाने की जगह छात्रों की स्वतत्रता पर अंकुश लगाया जा रहा है।
छात्र हितों के खिलाफ फैसला
विशेषज्ञों का मानना है कि परीक्षा के तुरंत बाद सवालों पर चर्चा छात्रों की तैयारी का हिस्सा होता है। इस पर पाबंदी लगाना उनकी पारदर्शिता और आत्मविश्वास को तोड़ना है।

