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तकनीकी एकीकरण से ही बढ़ेगी किसानों की उत्पादकता और आय — कृषि वैज्ञानिकों की एकमत राय

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कृषि विज्ञान केन्द्रों की समीक्षा कार्यशाला के दूसरे दिन ‘ब्रेन स्टॉर्मिंग’ सत्र में विशेषज्ञों ने रखे सुझाव

24 News Update उदयपुर, 13 नवम्बर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में आयोजित कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) के कामकाज की वार्षिक समीक्षा कार्यशाला के दूसरे दिन देशभर से आए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों की उत्पादकता और आय बढ़ाने के लिए तकनीकी एकीकरण पर जोर दिया।
तीन राज्यों — राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के 67 कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में आयोजित तकनीकी सत्रों में कृषि, पशुधन और उद्यानिकी क्षेत्रों में नवाचारों और उनके प्रभावी विस्तार पर गहन चर्चा हुई।
कार्यशाला की मेजबानी महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) ने की, जबकि इसका आयोजन आईसीएआर-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी जोन-2), जोधपुर द्वारा किया गया।
इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री की “अन्न-धन योजना” और विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए तिलहन–दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि “विकसित भारत” का सपना तभी साकार होगा जब किसान समृद्ध और तकनीकी रूप से सशक्त होगा।
विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों की समूह चर्चाएँ
दलहन–तिलहन उत्पादन से जुड़ी चर्चा में डॉ. विजय वीर सिंह (भरतपुर), डॉ. सुधीर कुमार (बीकानेर), डॉ. अरविंद वर्मा, डॉ. एस.आर. मालू, डॉ. एस.के. इंटोदिया और डॉ. वीरेन्द्र नेपालिया ने अपने सुझाव प्रस्तुत किए। बीजीय मसाले, बागवानी और उद्यानिकी विषय पर डॉ. आर.ए. कौशिक व डॉ. एस.एस. लखावत, वहीं पशुधन व जलीय कृषि विषय पर डॉ. धीर सिंह, डॉ. लोकेश गुप्ता, डॉ. जी.जी. सोनवाने और डॉ. सुभाष चन्द्र कच्छावा ने प्रस्तुतीकरण दिए। किसानों की आय बढ़ाने संबंधी समूह चर्चा में एडीजी (कृषि विस्तार), आईसीएआर, नई दिल्ली के डॉ. आर.के. सिंह, डॉ. पी.के. चक्रवर्ती और डॉ. बी.एल. जांगिड़ सहित कई वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भाग लिया। कार्यशाला के दौरान आईसीएआर संस्थानों और विभिन्न कृषि उद्योगों के निदेशकों ने भी अपनी प्रस्तुतियाँ दीं।

वैज्ञानिकों ने किए अनुसंधान केन्द्रों का दौरा
कार्यशाला के अंतर्गत कृषि वैज्ञानिकों की तीन टीमें गठित की गईं, जिन्होंने विषयवार समूह चर्चा के साथ-साथ एमपीयूएटी के जैविक और प्राकृतिक खेती केन्द्र तथा कॉलेज ऑफ डेयरी टेक्नॉलॉजी का दौरा कर वहां किए जा रहे नवाचारों की जानकारी प्राप्त की। यह जानकारी डॉ. जी.एल. मीना, मीडिया प्रकोष्ठ एवं जनसंपर्क अधिकारी, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा दी गई।

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