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युवाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने वाले मॉडल तैयार करें : डॉ. धीर सिंह

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24 news Update उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के कृषि विज्ञान केन्द्रों की तीन दिवसीय वार्षिक क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला का शुभारंभ हुआ।
मुख्य अतिथि राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के निदेशक डॉ. धीर सिंह ने कहा कि केवीके किसानों की समस्याओं का समाधान खोजने के साथ युवाओं में कृषि के प्रति आत्मविश्वास जगाने वाले मॉडल तैयार करें।
कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति डॉ. प्रताप सिंह ने कहा कि देश में अब विपणन क्रांति की आवश्यकता है। किसान तकनीकी रूप से सक्षम है, परंतु विपणन तंत्र को मजबूत किए बिना आत्मनिर्भर नहीं बन सकता।
विशिष्ट अतिथि डॉ. एम.एम. अधिकारी, पूर्व कुलपति विधानचंद्र कृषि विश्वविद्यालय, बंगाल ने कहा कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को साकार करने में केवीके की भूमिका निर्णायक रहेगी। उन्होंने सुझाव दिया कि केवीके गांवों को गोद लेकर स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित करें।
आईसीएआर-अटारी जोन-2, जोधपुर के निदेशक डॉ. जे.पी. मिश्रा ने बताया कि जोन-2 के अधीन 67 केवीके तीनों राज्यों में कार्यरत हैं, जो ईसबगोल, जीरा और डेयरी उत्पादन में देश में अग्रणी हैं।
डॉ. आर.एल. सोनी ने कहा कि इस कार्यशाला से डेयरी, उद्यानिकी व दलहन उत्पादन के नए आयाम स्थापित होंगे। कार्यक्रम में डॉ. अरविन्द वर्मा, डॉ. लोकेश गुप्ता, डॉ. धृति सोलंकी, डॉ. मनोज महला, डॉ. राम हरि मीणा, डॉ. सुनील जोशी, सहित जोन के सभी विश्वविद्यालयों के प्रसार शिक्षा निदेशक और 150 से अधिक कृषि वैज्ञानिक उपस्थित रहे। संचालन डॉ. लतिका व्यास ने किया। उद्घाटन सत्र में डॉ. सी.एम. बलाई, डॉ. बी.एस. भाटी, डॉ. मनीराम, डॉ. आर.के. कल्याण, कैलाश खराड़ी द्वारा तैयार “रबी फसलों एवं बागवानी की उन्नत तकनीकियां” सहित छह पुस्तकों का विमोचन किया गया।
इसके साथ डॉ. सरोज चौधरी, डॉ. बंशीधर, डॉ. रामनिवास, डॉ. दशरथ प्रसाद, डॉ. नरेश कुमार अग्रवाल, डॉ. प्रीति वर्मा, डॉ. सुरेशचंद कांटवा, डॉ. गोपीचंद सिंह और उनकी टीम द्वारा तैयार कृषि साहित्य का भी विमोचन हुआ।

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