24 news update चित्तौड़गढ़: जिला महिला एवं बाल चिकित्सालय में रविवार को एक गर्भवती महिला की डिलीवरी को लेकर उस समय हंगामा हो गया, जब परिजनों को अचानक बताया गया कि मरीज को उदयपुर रेफर करना पड़ेगा। पहले नॉर्मल डिलीवरी की बात कही गई थी, लेकिन बाद में हालत को गंभीर बताकर रैफर करने की सूचना मिलने पर परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए विरोध किया। बाद में डॉक्टर के पहुंचने पर अस्पताल में ही ऑपरेशन किया गया और डिलीवरी सुरक्षित संपन्न हुई। गुजरात के बड़ौदा निवासी रिया सुखवाल, पत्नी भास्कर सुखवाल, एक महीने पहले अपनी डिलीवरी के लिए चित्तौड़गढ़ स्थित पीहर आई थीं। रविवार सुबह करीब 7:30 बजे उन्हें जिला महिला एवं बाल चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। शुरुआत में परिजनों को बताया गया कि डिलीवरी नॉर्मल हो सकती है और स्थिति सामान्य है। लेकिन दोपहर करीब दो बजे अस्पताल की एक नर्स ने सूचना दी कि डॉक्टर प्रियंका के अनुसार मरीज की तबीयत बिगड़ रही है और उसे तुरंत उदयपुर रेफर करने की जरूरत है।
नर्स द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, रिया को अचानक ब्लीडिंग शुरू हो गई थी और उसे रेड ब्लड सेल व व्हाइट ब्लड सेल की आवश्यकता पड़ सकती थी। यह सुनते ही परिजन भड़क उठे और उन्होंने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। मरीज की बड़ी बहन रुचि पुरोहित ने आरोप लगाया कि पहले उन्हें किसी भी प्रकार की गंभीरता के बारे में नहीं बताया गया और अचानक रेफर करने की बात कह दी गई।
स्थिति उस वक्त और बिगड़ गई जब परिजनों ने सीनियर डॉक्टर दीप्ति भटनागर को फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। परिजनों के अनुसार, अस्पताल स्टाफ द्वारा भी उन्हें लगातार कॉल किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। बढ़ते हंगामे के बीच थाना पुलिस को भी मौके पर बुलाना पड़ा। करीब ढाई से तीन बजे के बीच डॉक्टर दीप्ति भटनागर अस्पताल पहुंचीं और तत्काल निर्णय लेते हुए ऑपरेशन शुरू किया गया। उन्होंने जानकारी दी कि महिला को अचानक ब्लीडिंग होने लगी थी, जो कि संभावित रूप से किडनी या अन्य अंगों को प्रभावित कर सकती थी। इसलिए, उदयपुर रेफर करने का सुझाव दिया गया था। डॉक्टर दीप्ति ने यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल एक मेडिकल सलाह थी और परिजनों की अनुमति के बिना कोई निर्णय नहीं लिया गया था। आखिरकार डॉक्टर के हस्तक्षेप और पुलिस की उपस्थिति में ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया और रिया की सुरक्षित डिलीवरी हो गई। इस घटना ने एक बार फिर अस्पतालों में आपात स्थितियों के दौरान पारदर्शी संवाद और डॉक्टरों की समय पर उपलब्धता की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
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