24 न्यूज अपडेट, जयपुर . स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने उत्तर प्रदेश की जेएस यूनिवर्सिटी में बैक डेट में फर्जी डिग्री जारी करने के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। यूनिवर्सिटी के चांसलर, रजिस्ट्रार और एक दलाल को गिरफ्तार किया गया है। इस घोटाले के तहत 245 उम्मीदवारों को फर्जी डिग्री देकर पीटीआई (फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर) बना दिया गया था।
इस यूनिवर्सिटी पर पहले भी ऐसे फर्जीवाड़े के आरोप लग चुके हैं, जिसमें छात्रों को घर बैठे लाखों रुपये में फर्जी डिग्रियां दी जाती थीं। जांच में सामने आया कि परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले 2067 अभ्यर्थियों ने जेएस यूनिवर्सिटी से बीपीएड की डिग्री प्राप्त करने का दावा किया था, जो यूनिवर्सिटी की निर्धारित सीटों से कई गुना ज्यादा था। इस मामले में अन्य निजी विश्वविद्यालयों की भूमिका भी जांच के दायरे में है।
मुख्य बिंदु:
- तीन गिरफ्तार: चांसलर सुकेश कुमार, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और जयपुर के दलाल अजय भारद्वाज गिरफ्तार।
- फर्जी डिग्री घोटाला: लाखों रुपये में बैक डेट में डिग्रियां जारी की गईं, जिससे 245 अभ्यर्थी पीटीआई बने।
- विदेश भागने की कोशिश: चांसलर सुकेश कुमार देश छोड़कर भागने की फिराक में था, लेकिन एसओजी ने उसे दिल्ली एयरपोर्ट से पकड़ा।
- पेपर लीक माफिया का लिंक: दलाल अजय भारद्वाज पहले भी हजारों छात्रों को ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से फर्जी डिग्री दिलवा चुका है।
- अन्य विश्वविद्यालयों से कनेक्शन: आरोपी एकलव्य ट्राइबल यूनिवर्सिटी (डूंगरपुर) और अनंत इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (मेघालय) स्थापित करने की योजना बना रहे थे।
- पूर्व में भी घोटाला: एसओजी ने इससे पहले ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर और संचालक को गिरफ्तार किया था।
- नकली प्रमाण पत्रों की जब्ती: छापेमारी में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्री और नकली प्रमाण पत्र जब्त किए गए।
- भर्ती प्रक्रिया में धांधली: कई अभ्यर्थियों ने सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए इन डिग्रियों का इस्तेमाल किया।
कैसे होता था फर्जीवाड़ा?
- आरोपी छात्रों से लाखों रुपये लेकर उन्हें बैक डेट में बीपीएड की फर्जी डिग्री उपलब्ध कराते थे।
- ये डिग्रियां निजी विश्वविद्यालयों से जारी की जाती थीं, ताकि सरकारी नौकरियों में इन्हें इस्तेमाल किया जा सके।
- परीक्षा के दौरान उम्मीदवारों ने अलग-अलग विश्वविद्यालयों से डिग्री प्राप्त करने का दावा किया, लेकिन बाद में सभी को जेएस यूनिवर्सिटी से डिग्रियां जारी की गईं।
- फर्जी डिग्री देने के बाद ये अभ्यर्थी राजस्थान की पीटीआई भर्ती परीक्षा में शामिल हुए और चयनित हो गए।
- इस गिरोह में दलालों का नेटवर्क शामिल था, जो इच्छुक उम्मीदवारों से पैसे वसूलकर उन्हें फर्जी प्रमाण पत्र दिलवाते थे।
- विश्वविद्यालय के उच्च पदों पर बैठे अधिकारी इस पूरे नेटवर्क को संचालित कर रहे थे।
एसओजी की कार्रवाई और आगे की जांच
एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने बताया कि इस घोटाले में और भी लोगों की संलिप्तता हो सकती है और जांच जारी है। पेपर लीक माफियाओं और निजी विश्वविद्यालयों के गठजोड़ को भी खंगाला जा रहा है।
इसके अलावा, एसओजी अब अन्य निजी विश्वविद्यालयों की भूमिका की जांच कर रही है और पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गिरोह में और कौन-कौन शामिल है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि किन सरकारी विभागों में इन फर्जी डिग्रियों का उपयोग किया गया था।
इस घोटाले के कारण कई सरकारी भर्तियों की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं, जिससे प्रशासन पर भी दबाव बढ़ा है। एसओजी ने जनता से अपील की है कि यदि किसी को इस घोटाले से जुड़ी कोई जानकारी हो, तो वे इसकी सूचना पुलिस को दें।

