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जयपुर में ड्रोन से कृत्रिम बारिश का प्रयोग अब अगस्त में: भारी बारिश की चेतावनी के चलते टला ट्रायल, सभी मंजूरियां मिल चुकीं

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24 News Update जयपुर। जयपुर के रामगढ़ बांध क्षेत्र में देश के पहले ड्रोन आधारित कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) के प्रयोग की शुरुआत अब अगस्त में होगी। कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा द्वारा गुरुवार से शुरू किया जाना था यह ऐतिहासिक ट्रायल, लेकिन मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी के कारण फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।

ताइवान से आए विशेष ड्रोन, वैज्ञानिकों की टीम जयपुर में
इस अभिनव प्रयोग के लिए ताइवान से विशेष रूप से मंगवाए गए ड्रोन दो दिन पहले ही जयपुर पहुंच चुके हैं। वैज्ञानिकों की एक विशेषज्ञ टीम भी जयपुर में मौजूद है, जो अब नई तारीख का इंतजार कर रही है। अभी तक इस तरह की क्लाउड सीडिंग प्लेन से की जाती रही है, लेकिन ड्रोन के जरिये यह भारत का पहला प्रयोग होगा।

सभी विभागों से मिली स्वीकृति, डीजीसीए से भी हरी झंडी
इस ड्रोन प्रोजेक्ट को केंद्र व राज्य सरकार के संबंधित विभागों, मौसम विभाग, जिला प्रशासन और डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से पहले ही अनुमति मिल चुकी है। यह प्रयोग कृषि विभाग के सहयोग से किया जा रहा है।
एक महीने चलेगा पायलट प्रोजेक्ट, 60 क्लाउड सीडिंग टेस्ट होंगे
अमेरिका और भारत की टेक कंपनी GenX AI इस ट्रायल को कृषि विभाग के साथ मिलकर एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में संचालित करेगी। अगस्त से शुरू होने वाले इस परीक्षण में रामगढ़ क्षेत्र में ड्रोन से 60 बार क्लाउड सीडिंग की जाएगी। परीक्षण का संपूर्ण खर्च कंपनी वहन करेगी।

क्या है क्लाउड सीडिंग?
क्लाउड सीडिंग तकनीक में बादलों पर सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस जैसे रसायनों का छिड़काव किया जाता है, जिससे बादलों में पानी की बूंदें बनती हैं और बारिश होती है। अब तक यह कार्य हवाई जहाज या हेलिकॉप्टर से होता था, लेकिन अब ड्रोन से किया जा रहा है जो अधिक सटीक और किफायती है।

सफल रहा ट्रायल तो तालाबों-एनिकटों की भराव क्षमता बढ़ेगी
यदि यह प्रयोग सफल रहा, तो राजस्थान के सूखाग्रस्त और सीमित क्षेत्र वाले इलाकों में छोटे एनिकट और तालाबों को भरने के लिए ड्रोन आधारित कृत्रिम बारिश तकनीक का प्रयोग किया जा सकेगा। खासकर तब जब मानसूनी बादल मौजूद हों लेकिन वर्षा न हो रही हो। इससे खेतों को सिंचाई और गांवों को पेयजल में राहत मिल सकती है।

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