उदयपुर, 15 अक्टूबर | विशेष संवाददाता – 24 News Update:
उदयपुर की रॉयल राजविलास (Royal Rajvilas) हाउसिंग परियोजना से जुड़े 12 वर्षों पुराने विवाद में आखिरकार न्याय की किरण दिखाई दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) जयपुर जोनल कार्यालय ने मि. उदयपुर एंटरटेनमेंट वर्ल्ड प्रा. लि. (UEWPL) की 175 करोड़ रुपये मूल्य की जब्त संपत्ति — जिसमें 354 फ्लैट, 17 वाणिज्यिक यूनिट और 2 प्लॉट शामिल हैं — को बहाल कर दिया है।
🔹 पृष्ठभूमि : सिंडिकेट बैंक फ्रॉड और रॉयल राजविलास प्रोजेक्ट की उलझन | 24 News Update
पूरे विवाद की जड़ सिंडिकेट बैंक फ्रॉड केस में है, जिसे अब कैनरा बैंक फ्रॉड के नाम से भी जाना जाता है।
24 News Update को प्राप्त दस्तावेज़ों के अनुसार, आरोपी भरत बॉम्ब और उनके सहयोगियों ने 2011 से 2016 के बीच जाली बिल, नकली चेक और फर्जी बीमा पॉलिसियों के माध्यम से बैंक से ₹1,267.79 करोड़ का घोटाला किया।
इसी घोटाले के पैसों से उदयपुर एंटरटेनमेंट वर्ल्ड प्रा. लि. द्वारा रॉयल राजविलास प्रोजेक्ट विकसित किया गया।
ईडी ने इस मामले की जांच 2017 में शुरू की और वर्ष 2019 में Provisional Attachment Order (PAO) No. 05/2019 के तहत ₹83.51 करोड़ मूल्य की अचल संपत्तियां जब्त कर लीं।
इन संपत्तियों में रॉयल राजविलास की अनरजिस्टर्ड व अनसोल्ड यूनिट्स भी शामिल थीं।
🔹 12 साल से ठगे गए गृहखरीदार : उम्मीद और धोखा साथ-साथ | 24 News Update
रॉयल राजविलास प्रोजेक्ट में लगभग 221 खरीदारों ने 2012 से 2015 के बीच अपने सपनों के घर बुक किए थे।
खरीदारों ने अपनी जिंदगी भर की जमा-पूंजी इस परियोजना में निवेश की, लेकिन डेवलपर की वित्तीय गड़बड़ियों और कानूनी उलझनों के कारण न तो फ्लैट बने और न ही रिफंड मिला।
इन 12 वर्षों में कई खरीदारों ने अदालतों के चक्कर लगाए, कई ने अपने घरों का सपना छोड़ दिया।
24 News Update को मिले इंटरव्यू में एक खरीदार अनूप जैन ने कहा —
“हमारे लिए यह सिर्फ प्रॉपर्टी नहीं थी, यह हमारी जिंदगी का लक्ष्य था। इतने सालों तक न घर मिला, न पैसा। आज ईडी की कार्रवाई से पहली बार लग रहा है कि न्याय मिला है।”
🔹 NCLT में दाखिल मामला और IBC प्रक्रिया की शुरुआत | 24 News Update
2020 में अनूप जैन व अन्य गृहखरीदारों ने NCLT मुंबई में कॉर्पोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया (CIRP) शुरू करने के लिए याचिका दायर की।
16 अप्रैल 2021 को NCLT ने UEWPL के खिलाफ दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू की और एक रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल (RP) नियुक्त किया।
फरवरी 2022 में NCLT ने रेज़ोल्यूशन प्लान मंजूर करते हुए ईडी द्वारा जब्त संपत्तियों को मुक्त करने का आदेश दिया।
परंतु ED को इस सुनवाई में पक्षकार ही नहीं बनाया गया, जिससे कानूनी विवाद और जटिल हो गया।
🔹 राजस्थान हाईकोर्ट में ईडी की एंट्री और कानूनी टकराव | 24 News Update
ईडी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
6 जुलाई 2023 को अदालत ने NCLT के आदेश पर रोक लगाई और कहा —
“NCLT को ईडी द्वारा जब्त संपत्तियों की कुर्की हटाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह मामला PMLA (Prevention of Money Laundering Act, 2002) के तहत आता है।”
यह राहत अस्थायी थी, लेकिन मार्च 2025 में सिंगल बेंच ने इस रोक को हटा दिया।
इसके बाद 28 मार्च 2025 को डिवीजन बेंच ने दोबारा वही रोक बहाल कर दी, यह कहते हुए कि —
“ईडी को मामले में सुना ही नहीं गया, यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।”
🔹 सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप : न्याय और जनहित का संतुलन | 24 News Update
स्थिति गंभीर होती जा रही थी, इसलिए UEWPL के नए प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट (SLP No. 10734/2025) का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों — ईडी और रेज़ोल्यूशन अप्लिकेंट — को निर्देश दिया कि वे ऐसा समाधान निकालें जिससे असली गृहखरीदारों का नुकसान न हो।
ईडी ने गृहखरीदारों की सूची की जांच की और पाया कि 8 खरीदारों के नाम पर 8.65 करोड़ रुपये की “Proceeds of Crime” से जुड़ी 11 यूनिट्स हैं।
बाकी 213 खरीदारों को बिलकुल निर्दोष पाया गया।
24 News Update के अनुसार, ईडी ने 213 खरीदारों की संपत्तियों की बहाली के लिए No Objection Certificate जारी कर दिया।
🔹 ईडी का कानूनी दृष्टिकोण : अपराध से दूरी, नागरिकों से नज़दीकी | 24 News Update
ईडी ने PMLA की धारा 8(8) के तहत यह दलील दी कि —
“जो संपत्तियां अपराध की आय से जुड़ी नहीं हैं, उन्हें निर्दोष खरीदारों को लौटाना ही न्याय का सही अर्थ है।”
इस मानवीय दृष्टिकोण ने न्यायपालिका को प्रभावित किया।
ईडी ने यह भी कहा कि यह कदम कानून के उद्देश्य को बनाए रखते हुए जनता के हित में उठाया गया है।
🔹 सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला : ‘यह निर्णय मिसाल नहीं, पर न्याय की नई दिशा’ | 24 News Update
10 अक्टूबर 2025 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अंतिम आदेश जारी करते हुए 175 करोड़ की संपत्ति बहाली को मंजूरी दी।
न्यायालय ने कहा —
“यह आदेश मामले की विशिष्ट परिस्थितियों पर आधारित है और इसे भविष्य में किसी अन्य केस के लिए मिसाल नहीं माना जाएगा।”
परंतु साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की सराहना करते हुए कहा —
“हम ईडी और सभी पक्षकारों की उस भावना की सराहना करते हैं जिसने निर्दोष और असली गृहखरीदारों के हितों की रक्षा की।”
🔹 स्थानीय असर : रॉयल राजविलास में फिर लौटी रौनक | 24 News Update
संपत्ति बहाली के आदेश के बाद उदयपुर के रॉयल राजविलास प्रोजेक्ट साइट पर खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी।
लोगों ने मिठाई बांटी, पटाखे फोड़े, और इसे “दीपावली से पहले की सबसे बड़ी खुशखबरी” बताया।
24 News Update के संवाददाता को एक महिला खरीदार ने कहा —
“हमने 2013 में बुकिंग की थी। तब हमारी बेटी छोटी थी, आज वह कॉलेज में है। आज आखिरकार घर मिलने की उम्मीद फिर जगी है।”
🔹 आर्थिक और कानूनी विश्लेषण | 24 News Update
- इस फैसले ने PMLA 2002 और IBC 2016 के बीच सामंजस्य की एक मिसाल पेश की है।
- यह पहला मौका है जब ईडी ने Proceeds of Crime और Non-POC assets को स्पष्ट रूप से अलग कर न्यायपूर्ण बहाली सुनिश्चित की।
- 213 परिवारों को राहत मिलने के साथ-साथ यह कदम रियल एस्टेट सेक्टर में निवेशकों का विश्वास भी मजबूत करेगा।
- विशेषज्ञों के अनुसार, यह आदेश “Restorative Justice” (पुनर्स्थापना आधारित न्याय) की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
🔹 24 News Update की विशेष टिप्पणी
ईडी का यह कदम केवल “कानूनी कार्रवाई” नहीं बल्कि “सामाजिक जिम्मेदारी” का उदाहरण है।
24 News Update मानता है कि यदि देश की सभी एजेंसियां ऐसे ही मानव-केंद्रित दृष्टिकोण से कार्य करें तो “भ्रष्टाचार के दुष्चक्र” से कई निर्दोष नागरिकों को बचाया जा सकता है।
🔹 मुख्य बिंदु सारांश | 24 News Update
| क्रमांक | विवरण |
|---|---|
| 1 | प्रोजेक्ट का नाम: रॉयल राजविलास, उदयपुर |
| 2 | कंपनी: मि. उदयपुर एंटरटेनमेंट वर्ल्ड प्रा. लि. |
| 3 | संपत्ति का वर्तमान मूल्य: ₹175 करोड़ |
| 4 | लाभार्थी खरीदार: 213 |
| 5 | PMLA धारा लागू: 8(8) |
| 6 | जांच एजेंसी: ईडी, जयपुर जोनल कार्यालय |
| 7 | निर्णय की तारीख: 10 अक्टूबर 2025 |
| 8 | विशेषता: सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में संपत्ति बहाली |
🔹 निष्कर्ष : उदयपुर से उठी न्याय की नई मिसाल | 24 News Update
यह मामला केवल एक प्रोजेक्ट की संपत्ति बहाली नहीं बल्कि संपूर्ण न्याय प्रणाली के लिए प्रेरणादायक मिसाल है।
ईडी ने दिखाया कि “कानून केवल दंड के लिए नहीं, पुनर्स्थापना के लिए भी होता है।”
24 News Update के अनुसार, उदयपुर का यह प्रकरण देश के हर गृहखरीदार के लिए आशा की नई किरण है —
क्योंकि जब न्याय और मानवता एक साथ चलते हैं, तब व्यवस्था में विश्वास कायम होता है।

