-आज का युवा नशे में धुत होता जा रहा, सहन शक्ति भी खत्म हो रही है: राष्ट्रसंत पुलक सागर
– पल भर की खता, जीवन भर की सजा हो जाती है – राष्ट्रसंत पुलक सागर
– नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव प्रवचन श्रृंखला का 24वां दिन
24 News Update उदयपुर। सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में राष्ट्रसंत आचार्यश्री पुलक सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास भव्यता के साथ संपादित हो रहा है। मंगलवार को टाउन हॉल नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के 24वें दिन नगर निगम प्रांगण में विशेष प्रवचन हुए। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि मंगलवार को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कीर्ति राठौड़, कांतिलाल जैन, किरण जैन, महेन्द्र बाफना, सावित्री बाफना, शैलेन्द्र चौहान, विजयलक्ष्मी नैनावटी उपस्थित थे । पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट राजकुमार फत्तावत एवं सभी अतिथियों ने किया।
चातुर्मास समिति के परम संरक्षक राजकुमार फत्तावत व मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि ज्ञान गंगा महोत्सव के 24वें दिन आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहा एक बार मैं तिहाड़ जेल गया प्रवचन करने गया, दिल्ली चातुर्मास था, प्रवचन के बाद मैने देखा एक कैदी फूट फूट कर रोने लगा, मैंने जेलर को बोला मैं उस आदमी से मिल सकता हूं, मैंने उस आदमी को कहा क्यों तो रहे हो, तो उस कैदी ने कहा मेरी सजा 20 दिन बाद पूर्ण हो रही है । तो मैने उस कैदी से कहा तुम्हें तो झूमना चाहिए, आनंद करना चाहिए, तुम्हारे लिए तो मुक्ति का द्वार मिल रहा है । उसने कहा कि महाराज आप जेलर साहब से कहो कि मेरी सजा बढ़ा दी जाए, मै जेल से बाहर नहीं जाना चाहता । मैने कहा अजीब कैदी हो, सभी तो चाहते है कि हमारी सजा माफ हो जाए या हाफ हो जाए और तुम कह रहे हो सजा बढ़ा दी जाए । जेल में ऐसा क्या सुख है तुम्हे? मैं चाहता हूं इसी जेल में मरना चाहता हूं । मैंने उसको पूछा कि तूने ऐसा क्या किया जो तू जेल में आया? पल भर की खता जीवन भर की सजा हो जाती है । कैदी ने कहा कि मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था, मेरा भी घर परिवार था, लेकिन मैं गलत संगत में पड़ गया । ऐसे लोगों के साथ मेरी नौकरी पड़ गई कि मुझे शराब पीनी पड़ी, लोगों ने बोतल पकड़ना सिखा दिया । पत्नी ने कहा कि मैं तेरे साथ गरीबी की जिंदगी गुजार सकती हूं, लेकिन एक शराबी के साथ नहीं रह सकती । पत्नी ने पचास बार समझाया कि मैं अपनी हरकते बदल लूं लेकिन मुझे समझ नहीं आया । नशे में ऐसा मैं धुत हो गया, कि क्या हो रहा मुझे कुछ पता नहीं रोज के लड़ाई झगड़े । एक वक्त वो था जब पत्नी रोज मेरा इंतजार किया करती थी और अब मेरे घर पर आने पर वह मुंह बिगाड़ लिया करती है । प्यार खत्म हो गया । एक नशे ने सब सुख चैन छीन लिए, अच्छा खासा घर नरक बन गया । पत्नी से एक दी ज्यादा झगड़ा हो गया, पत्नी ने अपनी अटैची उठाई और वह बच्चों के साथ जाने लगी और कहा कि आज के बाद तुम अपने दोस्तों के साथ रहना और शराब पीना । मै तुम्हारे घर में कदम नहीं रखूंगी । पत्नी गई मैंने अपने दोस्तों को फोन किया कि हमेशा की राह का कांटा सदा सदा के लिए चला गया, आओ सब मेरे घर, मिल कर पार्टी करते है । कुछ देर बाद पत्नी घर के अंदर आई, मैने कहा क्या हुआ तुम तो चली गई थी, अब क्या लेने आई हो, पत्नी में कहा कि मैं गई नहीं थी, मै घर के बाहर ही खड़ी थी, ये देखना चाहती थी कि मेरे जाते ही तुम मेरे स्वर्ग जैसे घर को कैसे नरक बनाते हो । मुझे पता चल गया तुम कभी सुधरने वाले नहीं हो । पत्नी ने मुझे कहा कि दफा हो जाओ मेरे घर से, मैंने इस घर को संवारा है सजाया है, मै इसे नरक नहीं बनने दूंगी । उसने मेरे सारे दोस्तों को भगा दिया और उस समय मैं शराब के नशे में चूर था, उसने मेरे दोस्तों का मजाक बनाया उनका अपमान किया । मेरे दोस्तों का अपमान मुझसे सहन नहीं हुआ । मैने आव देखा ना ताव और घर में रखी लोहे की रोड़ से पत्नी के सर पर बार कर दिया । पत्नी लहूलुहान हो गई, बेहोश होकर गिर पड़ी और पांच मिनट बाद मैने देखा वह इस दुनिया से चली गई । एक नशे के कारण मैं उसके प्राणों का हत्या बन गया । नशे के कारण मैंने घर को श्मशान में तब्दील कर दिया, आज 14 साल पूर्ण हो गए । मेरे बच्चे भी बड़े हो गए, मैंने कितनी बार खबर भिजवाई की वो मुझसे मिलने आए लेकिन बच्चों ने कहा कि हम बचपन से अब जवानी में प्रवेश कर चुके है, ऐसे बाप को हम बाप नहीं कहना चाहते जिसने हमारी मां को मारा हो । हम इस जन्म में तुम्हारा मुंह नहीं देखना चाहते, हमे ऐसे हत्यारे और शराबी बाप की जरूरत नहीं । मेरे बच्चों मेरे रिश्तेदारों ने मुझसे मुंह मोड़ लिया । इसलिए महराज मैं किसके लिए बाहर जाऊ, इसलिए मैं इस जेल में मरना चाहता हूं । युवा नशे की लत में आ रहे है, सहन शक्ति खत्म हो गई है । लड़कियां सिगरेट पी रही है, शराब पी रही है । नशा अपने पैर पसार रहा है । शराब के बड़े बड़े शोरूम खुल रहे है । मैं टाउन हाल से सर्वऋतु विलास मंदिर रोज जाता हूं, उसके रास्ते में शराब की तीन चार दुकानें मिल जाती है । आज के समय में सब्जी की दुकान ढूंढना मुश्किल और शराब की दुकान हर मीटर पर मिल जाएगी । कहां ले जाएंगे इस देश की संस्कृति और सभ्यता को । क्या नशे में धुत्त युवा पीढ़ी भारत का निर्माण करेगी । सरकार दोहरी राजनीति कर रही है, एक तरफ धड़ल्ले से लाइसेंस बांट रही है और एक तरफ कह रही शराब पीना अपराध है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी व प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर विशेष आयोजन होंगे । इस अवसर पर विनोद फान्दोत, राजकुमार फत्तावत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा सहित उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, पाणुन्द, कुण, खेरोदा, वल्लभनगर, रुंडेडा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।
सरकार की दोहरी राजनीति : धड़ल्ले से बांट रही शराब की दुकानों के लाइसेंस और एक तरफ कह रही शराब पीना अपराध – राष्ट्रसंत पुलक सागर

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