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गर्भपात देश के लिए अभिशाप, नारी खुद नारी नहीं करती पसंद – राष्ट्रसंत पुलक सागर

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– जिस घर में बेटी होती है, वह घर स्वर्ग समान – राष्ट्रसंत पुलक सागर
-औलाद से वंश नहीं चलता, आचरण से वंश चलता है – राष्ट्रसंत पुलक सागर
– नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव प्रवचन श्रृंखला का 25वां दिन

24 News Update उदयपुर । सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में राष्ट्रसंत आचार्यश्री पुलक सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास भव्यता के साथ संपादित हो रहा है। बुधवार को टाउन हॉल नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के 25वें दिन नगर निगम प्रांगण में विशेष प्रवचन हुए। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि बुधवार को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री राजस्थान सरकार जगदीश राज श्रीमाली, स्वच्छ भारत ब्रांड एम्बेसडर एवं न्याय मित्र के के गुप्ता, होटल एसोसिएशन अध्यक्ष सुदर्शन देव सिंह कारोही, रविन्द्र सुराणा, सुनील व्यास, नीरज सर्राफ सलूंबर, विजय सिसोदिया, प्रियंका तलेसरा उपस्थित थे ।
चातुर्मास समिति के परम संरक्षक राजकुमार फत्तावत व मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि ज्ञान गंगा महोत्सव के 25वें दिन आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहा मेरे मन में एक बच्ची जन्म होने से डरती है, गर्भपात का जमना है, फऩा होने से डरती है । एक लडक़ी घर में जरूर होना चाहिए । एक महिला आई बोली महाराज थोड़ा तनाव और टेंशन है, मैने बोला पैसा नहीं है, पति खराब है या सास दुष्ट है, वो बोली महाराज ऐसा कुछ नहीं है, सब अच्छा है । मकान, नौकर चाकर, कार सब कुछ है । वह बोली सब कुछ अच्छा है मेरे लड़कियां है लेकिन लडक़े नहीं है । मेरे घर में एक बेटा होना चाहिए । मैने पूछा बेटे से क्या होता है ? दुर्भाग्य है इस समाज का की नारी ही नारी को पसंद नहीं करती । मै कहता हूं एक घर में एक लडक़ी जरूर होने चाहिए, जिस घर में लडक़ी नहीं होती उस घर में दिल नहीं हुआ करता । दिल नहीं वो पत्थर है, जिस घर में बेटी नहीं होती, बेटी तो वो है जो दिल को दिल बनाया करती है । लडक़ी दिल में संवेदनाएं एवं आत्मीयता भरती है, लडक़ी वो होती है जो अच्छे अच्छों के अहंकार को तोड़ देती है । एक बेटी ऐसी होती है जो सबको झुकना सिखा दिया करती है । लडक़ी व्यर्थ के अभिमान को तोड़ती है । तुम्हारे घर में लडक़ा ना हो तो अफसोस नहीं होना चाहिए, और घर में लडक़ी ना हो तो जिंदगी भर अफसोस करना चाहिए । बेटी है अभिमान हमारा, बेटी है सम्मान हमारा, और जिस घर में बेटी हो, वो घर स्वर्ग समान हमारा । लडक़ी होना चाहिए, लडक़ी नहीं तो घर नहीं, एक बात याद रखना, एक लडक़ा अच्छा निकला तो वो केवल एक वंश को रोशन करती है, और लडक़ी यदि अच्छी निकल जाए तो दो वंश को रोशन करती है । बहुत से ऐसे महापुरुष हुए जिन्होंने विवाह नहीं किया, भगवान महावीर की एक भी औलाद नहीं थी, लेकिन आज 2600 साल बाद भी उनका वंश चल रहा है । हम सभी उन्हें अपना सब कुछ मानते है, और हम उनके अनुयायी है । वंश चलना है तो परमहंस बनो, वंश अपने आप चल जायेगा । आचार्य ने कहा कि बच्चे और संत दोनों एक जैसे होते है, जिनके मन में कोई राग द्वेष नहीं होता । सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और शाम का भोजन परिवार के साथ खाओ, रोजाना घर में दिवाली जैसा माहौल रहेगा । जिस घर में रोज उत्सव होते है, उसी घर में महोत्सव होते है । जिस मंदिर में 1 घंटे रहना है, उसे इतना पवित्र बनाते हो, तो जिस घर में पूरे दिन रहते हो तो उसे पवित्र क्यों नहीं बनाते हो । पति से वक्त की उम्मीद रखती है, परिवार में थोड़ा सा वक्त दिया करो, आजकल इंसान कमाई करने के चक्कर में वक्त देना कम हो गया है । जितना सम्मान अपने पड़ोसी को देते हो, उतना धन्यवाद और सम्मान अपनी पत्नी को भी देना शुरू कर दो, जीवन और घर स्वर्ग बन जाएगा । हर अच्छे काम में का धन्यवाद देना शुरू कर दो, हम बाहर शिष्टाचारी बने रहते है और घर में भ्रष्टाचारी बन जाते है । ये नारी अपमान की पात्र नहीं, ये सम्मान की पात्र हुआ करती है ।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी व प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि 15 अगस्त को दोपहर 3 बजे नगर निगम प्रांगण में विशेष कार्यक्रम के तहत ध्वजारोहण, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां एवं आचार्य श्री का विशेष प्रवचन होंगे।  
इस अवसर पर विनोद फान्दोत, राजकुमार फत्तावत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा सहित उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, पाणुन्द, कुण, खेरोदा, वल्लभनगर, रुंडेडा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। 

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