24 News update चमोली. उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित पवित्र बद्रीनाथ धाम के कपाट आज सुबह 6 बजे वैदिक मंत्रोच्चार और ‘बद्री विशाल लाल की जय’ के जयघोष के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। कपाट खुलने के पहले दो घंटों में करीब 10 हजार भक्तों ने भगवान बद्रीनारायण के दर्शन किए। मंदिर को 40 क्विंटल फूलों से सजाया गया, जो आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा संगम प्रस्तुत कर रहा था।
चारधाम यात्रा की शुरुआत:
बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया। इस यात्रा में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम शामिल हैं। यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन खुल चुके हैं, जबकि केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को खोले गए। बद्रीनाथ, जो चारधाम का अंतिम पड़ाव है, हर साल अप्रैल-मई में खुलता है और नवंबर में बंद होता है। इस वर्ष कपाट खुलने की तारीख 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी के दिन टिहरी राज दरबार में तय की गई थी।
भक्ति और उत्साह का माहौल:
कपाट खुलने के अवसर पर मंदिर परिसर में गढ़वाल राइफल्स के बैंड ने पारंपरिक धुनें बजाईं, और स्थानीय महिलाओं ने लोकगीत गाकर माहौल को भक्तिमय बनाया। मंदिर के नए रावल (मुख्य पुजारी) अमरनाथ नंबूदरी ने गणेश पूजा और द्वार पूजन के बाद कपाट खोले। हेलीकॉप्टर से की गई पुष्पवर्षा ने श्रद्धालुओं के उत्साह को और बढ़ाया। छह महीने से जल रही अखंड ज्योति के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगीं।
श्रद्धालुओं की भीड़ और व्यवस्था:
पहले दिन सुबह 8 बजे तक 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अनुसार, पिछले वर्ष (2024) कपाट खुलने के दिन 18 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे, और इस वर्ष भी भारी भीड़ की उम्मीद है। यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है, और अब तक लाखों भक्त पंजीकरण करा चुके हैं। कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत, टीकाकरण प्रमाणपत्र या 72 घंटे पुरानी निगेटिव RT-PCR रिपोर्ट दिखाना जरूरी है।
मंदिर की भव्य सजावट:
मंदिर को 40 क्विंटल गुलाब, गेंदा और स्थानीय फूलों से सजाया गया। गाडू घड़ा (तेल कलश) अनुष्ठान के तहत, 2 मई को नरेंद्र नगर राज दरबार से तिल के तेल का कलश रवाना हुआ, जिसका उपयोग भगवान बद्री विशाल के महाभिषेक में किया गया। कपाट खुलने से पहले कुबेर जी, उद्धव जी और गाडू घड़ा को दक्षिण द्वार से मंदिर परिसर में लाया गया।
प्रशासन की तैयारियां:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यात्रा की तैयारियों का जायजा लिया और कहा, “हमारा लक्ष्य चारधाम यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाना है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सभी सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।” बद्रीनाथ धाम तक सड़क मार्ग से अच्छी कनेक्टिविटी है, और निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट (देहरादून) है, जो 317 किमी दूर है। हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं। मंदिर में मोबाइल फोन, वीडियो रिकॉर्डिंग और रील्स बनाने पर सख्त पाबंदी है।
आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव:
बद्रीनाथ धाम आध्यात्मिक केंद्र होने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था का भी आधार है। यात्रा सीजन में होटल, परिवहन और हस्तशिल्प से जुड़े व्यवसाय फलते-फूलते हैं। मंदिर का प्रबंधन बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति करती है, जो श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं जुटाने में जुटी है।
यात्रा का समय और अनुमान:
मंदिर 4 मई से नवंबर 2025 (संभावित तारीख 17 नवंबर) तक खुला रहेगा। मई-जून और सितंबर-अक्टूबर में सबसे अधिक श्रद्धालु आते हैं, क्योंकि मौसम अनुकूल रहता है। मानसून में भूस्खलन का जोखिम रहता है। मंदिर प्रतिदिन सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहेगा।
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