24 News Update उदयपुर। प्रदेश में सर्प और अन्य वन्यजीवों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले “सर्प मित्रों” की सुरक्षा और आर्थिक सहायता सुनिश्चित करने के लिए वाइल्ड एनिमल रेस्क्यू सेंटर, उदयपुर ने राजस्थान के वन मंत्री को विस्तृत ज्ञापन भेजा है। इसमें महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर सर्प मित्रों का दुर्घटना और चिकित्सा बीमा कराने और उन्हें सरकारी पहचान पत्र जारी करने की मांग की गई है।
सर्पदंश से हर साल हजारों मौतें, सैकड़ों सांप मारे जाते हैं
सेंटर के अध्यक्ष डॉ. चमनसिंह चौहान ने पत्र में बताया कि देश में प्रतिवर्ष 40 से 50 हजार लोग सर्पदंश के कारण अपनी जान गंवाते हैं। राजस्थान भी इस समस्या से अछूता नहीं है और यहां हर साल सैकड़ों लोग, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में, विषैले सर्पों के काटने से मौत के शिकार हो जाते हैं। दूसरी ओर, सांपों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है—वर्ष में सैकड़ों सांप मनुष्यों के डर और अज्ञानता के कारण मार दिए जाते हैं, चाहे वे विषैले हों या निर्दोष।
सर्प मित्र करते हैं जानलेवा काम
वाइल्ड एनिमल रेस्क्यू सेंटर, उदयपुर की टीम वर्षों से सांपों को बचाने और लोगों को सर्पदंश से सुरक्षा देने का काम कर रही है। टीम अब तक लाखों वन्यजीवों और सांपों को मौत से बचा चुकी है। लेकिन इस दौरान कई बार स्वयं रेस्क्यू करने वाले सदस्य सर्पदंश का शिकार हो जाते हैं। ऐसे मामलों में त्वरित इलाज महंगा होने के कारण कई सर्प मित्र समय पर चिकित्सा सुविधा न मिलने से अपनी जान गंवा देते हैं। डॉ. चौहान ने कहा कि सर्प पकड़ने का काम उच्च जोखिम वाला पेशा है, जिसमें हमेशा विषैले सांप के काटने, गंभीर चोट या अन्य दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। इसलिए उनके लिए बीमा योजना आवश्यक है, जो दुर्घटना या मृत्यु की स्थिति में परिवार को आर्थिक सहायता और घायल होने पर चिकित्सा खर्च की भरपाई कर सके।
महाराष्ट्र का मॉडल अपनाने की मांग
ज्ञापन में महाराष्ट्र सरकार के हालिया निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि वहां उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के सर्प मित्रों के लिए बीमा सुविधा और सरकारी आईडी कार्ड की व्यवस्था लागू की है। राजस्थान में भी यह मॉडल लागू करने से सर्प मित्रों को कार्य के दौरान कानूनी और प्रशासनिक पहचान मिलेगी तथा वन्यजीव संरक्षण का कार्य सुचारू रूप से चल सकेगा। सरकारी पहचान पत्र मिलने से न केवल सर्प मित्रों को आधिकारिक मान्यता मिलेगी, बल्कि उन्हें रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान पुलिस या वन विभाग की पूछताछ, रोके जाने और संदेह जैसी परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा। साथ ही, यह कार्ड उन्हें वन्यजीव संरक्षण से जुड़े प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं में भी भागीदारी सुनिश्चित करेगा। पत्र में कहा गया है कि विशेष रूप से खेती के मौसम में और बरसात के दिनों में ग्रामीण इलाकों में सांपों की आवाजाही बढ़ जाती है, जिससे सर्पदंश की घटनाएं भी बढ़ती हैं। इन परिस्थितियों में सर्प मित्र, बिना किसी सुरक्षा किट या सरकारी सहयोग के, लोगों की जान बचाने के लिए विषैले सांपों को पकड़कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ते हैं।
सरकार से त्वरित कार्रवाई की अपील
डॉ. चौहान ने उम्मीद जताई है कि राजस्थान सरकार इस गंभीर मुद्दे को प्राथमिकता देगी और जल्द ही सर्प मित्रों के लिए बीमा और आईडी कार्ड योजना लागू करेगी, ताकि इन “अनसुने नायकों” को उनके साहसिक और मानवहितकारी कार्य के लिए उचित सुरक्षा और सम्मान मिल सके।
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