24 News Update उदयपुर। अणुव्रत समिति के तत्वाधान में कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी और एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के गर्ल्स हॉस्टल में आयोजित नशा मुक्ति अभियान में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पीसी जैन ने छात्राओं को “गर्ल्स कैन प्रीवेंट एंड ट्रीट दी एडिक्शन” विषय पर विस्तृत जानकारी दी। तीन दशकों के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि बेटियां—चाहे वह पत्नी, बहन, मां, बहू या सास हों—घर में नशे की गिरफ्त से परिजनों को बचाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
डॉ. जैन ने मोबाइल एडिक्शन पर भी आगाह किया। उनके अनुसार बच्चे आक्रामक हो रहे हैं, सामाजिक संपर्क कम हो रहा है, प्रेगनेंसी में डिजिटल डिवाइस का अत्यधिक प्रयोग बच्चों के व्यवहार और दृष्टि पर प्रभाव डाल रहा है, और मोबाइल एडिक्शन तलाक की प्रमुख वजह बनता जा रहा है।
उन्होंने छात्राओं को शराब, तंबाकू और अन्य नशों के लिंग आधारित प्रभाव भी समझाए। महिला पर हार्ट अटैक, डिप्रेशन और गर्भपात का खतरा दोगुना होता है, साथ ही बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकृतियों का जोखिम बढ़ता है।
हॉल्ट सूत्र (H-Hunger, A-Anger, L-Loneliness, T-Tiredness) के माध्यम से बताया कि क्यों नशा करने की तीव्र इच्छा होती है। डेट रेप ड्रग जैसी रंगहीन, गंधहीन और स्वाद रहित दवाओं के दुरुपयोग के प्रति भी छात्राओं को सावधान किया।
परिवार की भूमिका पर जोर देते हुए डॉ. जैन ने कहा कि महिलाएं नशे की स्थिति में परिजनों से बहस न करें, शंकालु न बनें, बल्कि उनका पूर्ण इलाज सुनिश्चित करें, क्योंकि हर नशा छुड़ाने में महिलाओं की भूमिका निर्णायक है।
कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष प्रणेता तलेसरा ने किया। नशा मुक्ति प्रभारी गगन तलेसरा ने डॉ. जैन का परिचय कराया, स्वागत लक्ष्मी कोठारी ने किया और कोषाध्यक्ष मधु सुराणा ने प्रतीक चिन्ह भेंट किया। हॉस्टल वार्डन डॉ. पूनम और सहयोगी पारूल ने अणुव्रत समिति का आभार व्यक्त किया।
छात्राओं खुशबू, अंजलि, पूजा, काजल, सूरज, प्रियंका, सलोनी, भव्या आदि ने नशा मुक्ति गीत और नृत्य में भाग लिया, और डॉ. जैन ने उन्हें व्यक्तिगत प्रतीक चिन्ह देकर प्रोत्साहित किया।
बेटियां नशे की जड़ से भी बचा सकती हैं: डॉक्टर पीसी जैन का कॉलेज में नशा मुक्ति सत्र

Advertisements
