24 News Update उदयपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने चित्तौड़गढ़ के नेता और पूर्व नगर परिषद सभापति संदीप शर्मा का निष्कासन रद्द कर दिया है। उनकी वापसी से जिले की राजनीति में नए समीकरण बनने लगे हैं। राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने शुक्रवार को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को आदेश जारी कर चार नेताओं का निष्कासन समाप्त करने के निर्देश दिए।
चार नेताओं की वापसी
राज्य अनुशासन समिति की अनुशंसा पर कांग्रेस ने चित्तौड़गढ़ के संदीप शर्मा, सीकर के बलराम यादव, बांसवाड़ा के अरविंद डामोर और नागौर के तेजपाल मिर्धा के मामलों की समीक्षा की। समीक्षा के बाद पार्टी ने चारों का निष्कासन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया और उन्हें पुनः कांग्रेस में शामिल कर लिया।
संदीप शर्मा का विवादित मामला
संदीप शर्मा पर अपनी महिला कर्मचारी से यौन शोषण का आरोप लगा था। मामला अदालत में लंबित रहा और पुलिस ने कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी थी। आरोप लगने के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। शर्मा का कहना है कि उस समय बिना पक्ष सुने दबाव में कार्रवाई की गई थी। उन्होंने कहा, “अब अदालत में सच्चाई सामने आ चुकी है और यह स्पष्ट हो गया है कि मुकदमा राजनीतिक दबाव में दर्ज हुआ था।”
निंबाहेड़ा में स्वागत
वापसी के बाद संदीप शर्मा निंबाहेड़ा पहुंचे और पूर्व सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना से मुलाकात की। आंजना ने उनका स्वागत किया और समर्थन जताया। शर्मा ने कहा कि वे हमेशा से कांग्रेस के सिपाही रहे हैं और आगे भी पार्टी की सेवा करते रहेंगे। उन्होंने अपनी वापसी का श्रेय आंजना को दिया।
स्थानीय राजनीति में नए समीकरण
चित्तौड़गढ़ की राजनीति में संदीप शर्मा पहले पूर्व राज्यमंत्री सुरेंद्र सिंह जाड़ावत के करीबी माने जाते थे, लेकिन इस बार उनकी वापसी का श्रेय उदयलाल आंजना को दिया जा रहा है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि इससे जिले की गुटबाजी और नेतृत्व के समीकरण बदल सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चार नेताओं की वापसी से कांग्रेस संगठन को मजबूती मिलेगी। खासकर चित्तौड़गढ़ जिले में, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला रहता है, वहां संदीप शर्मा की सक्रियता पार्टी के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।
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