24 News Update उदयपुर. श्याम सखी मंडल की ओर से टेकरी चौराहा स्थित श्री राज राजेश्वर मंदिर में आयोजित शिव महापुराण कथा का सोमवार को भावपूर्ण समापन हुआ। सावन के पहले सोमवार को हुए इस आयोजन में श्रद्धालु भक्तिभाव में लीन रहे। पवन महाराज ने कथा के समापन से पूर्व सत्संग की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “कर्मों के फल तो सबको भोगने पड़ते हैं, लेकिन सत्संग और शिवकथा से जीवन की समस्याओं का सहज समाधान मिल सकता है।”
रुद्राक्ष की महिमा का विस्तार
पवन महाराज ने शिवपुराण में वर्णित 14 प्रकार के रुद्राक्षों की व्याख्या करते हुए बताया कि एकमुखी रुद्राक्ष शिव का प्रतीक है, जिसमें लक्ष्मी का वास होता है। उन्होंने कहा कि रुद्राक्ष शिवजी के नेत्रों से निकले जल से उत्पन्न हुए हैं। छहमुखी रुद्राक्ष को उन्होंने कार्तिकेय का स्वरूप बताया। शिव नाम के सुमिरन और रुद्राक्ष धारण करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। पूरे कार्यक्रम के दौरान “हर हर महादेव” और “भोलेनाथ की जय” के जयकारों से वातावरण भक्तिमय बना रहा। ईश्वर प्रेम आश्रम के कन्हैया महाराज ने भावपूर्ण भजनों की प्रस्तुति दी, जिन पर उपस्थित श्याम सखियों ने शिवभक्ति में झूमते हुए नृत्य किया।
सखियों ने किया भावुक विदाई सम्मान
कथा के समापन पर श्याम सखियों ने पवन महाराज का चरणवंदन कर भावभीने शब्दों में उनका स्वागत-सत्कार किया। इस अवसर पर अनेक सखियाँ भावुक हो गईं और “जय शिव शंकर, जय बम बम भोले” के स्वर गूंज उठे। मीडिया प्रभारी डॉ. बालकृष्ण शर्मा ने जानकारी दी कि मंडल की ओर से यह आयोजन प्रत्येक सावन में किया जाता है, जिसमें महिलाएं शिवभक्ति से जुड़ती हैं और भजन, नृत्य व कथा के माध्यम से शिवस्मरण करती हैं। महाराज जी ने सभी सखियों को शिवकृपा का आशीर्वाद प्रदान किया और निरंतर भक्ति-पथ पर अग्रसर रहने का संदेश दिया।
शिव महापुराण कथा का समापन: पवन महाराज बोले – सत्संग से जीवन की समस्याएं होती हैं दूर

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