24 News Update उदयपुर। झीलों की रमणीय धरती उदयपुर आगामी सप्ताह से आध्यात्मिक चेतना की उस गूंज से सराबोर होने जा रही है, जिसका प्रत्यक्ष अनुभव नगरवासियों ने पिछले सत्रह वर्षों पूर्व किया था। वर्ष 2008 में जब राष्ट्रसंत जैनाचार्य पुलकसागर महाराज ने लेकसिटी को अपने चातुर्मास का सौभाग्य प्रदान किया था, तब यह नगर संयम, शांति और साधना के रंगों में रंग उठा था। एक लंबे अंतराल के बाद वर्ष 2025 का यह वर्ष पुनः उसी शुभता को संजोने वाला सिद्ध हो रहा है, जब आचार्यश्री का चातुर्मास सकल जैन समाज के तत्वावधान में सर्वऋतु विलास स्थित श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर में संपन्न होगा।
इस पावन अवसर का शुभारंभ 6 जुलाई, रविवार को प्रातः 7:30 बजे फतह स्कूल प्रांगण से एक भव्य शोभायात्रा के साथ होगा, जिसमें नगर धर्म और संस्कृति के भव्यतम रंगों से सुसज्जित दिखाई देगा। शोभायात्रा में शामिल होंगे सजे-धजे हाथी, घोड़े, बग्गियां, विभिन्न वेशभूषाओं में सजे समाजबंधु, ढोल-नगाड़ों और बैंड की स्वरलहरियों पर झूमते श्रद्धालु। यह शोभायात्रा सूरजपोल चौराहे से गुजरते हुए नगर निगम परिसर, टाउन हॉल तक पहुंचेगी, जहां आचार्यश्री का मंगल प्रवचन होगा तथा तत्पश्चात विशाल स्वामीवात्सल्य का आयोजन भी किया जाएगा।
चातुर्मास समिति के कार्याध्यक्ष आदिश खोड़निया ने बताया कि गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर पर 12 जुलाई को दोपहर 2 बजे टाउन हॉल में ‘गुरु गुणगान महोत्सव’ आयोजित किया जाएगा, जिसमें श्रद्धालु विविध रूपों में गुरु भक्ति का प्रदर्शन करेंगे। इसके एक दिन बाद, 13 जुलाई को दोपहर 2 बजे वहीं दिव्य मंगल कलश की स्थापना की जाएगी, जिसमें श्रद्धालु विशेष बोली लगाकर कलश स्थापना का सौभाग्य अर्जित करेंगे।
चातुर्मास के आयोजनों की श्रृंखला में 27 जुलाई से 15 अगस्त तक ‘ज्ञान गंगा महोत्सव’ का भव्य आयोजन किया जाएगा। इस महोत्सव के दौरान प्रतिदिन धर्म और ज्ञान की गंगा राष्ट्रसंत के विशेष प्रवचनों के रूप में प्रवाहित होगी। यह प्रवचन केवल जैन धर्म तक सीमित नहीं होंगे, अपितु सर्वधर्म समभाव को लेकर चलने वाले होंगे। इस दौरान 31 जुलाई को मोक्ष सप्तमी, 9 अगस्त को रक्षाबंधन तथा 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसरों पर विशेष आयोजन प्रस्तावित हैं। इन आयोजनों में भाग लेने हेतु उदयपुर सहित डूंगरपुर, बांसवाड़ा, साबला, सागवाड़ा, धरियावद, कानोड़, अण्डीदा, भीण्डर आदि अंचलों से श्रद्धालु पहुंचेंगे।
चातुर्मास के दूसरे चरण में 28 अगस्त से 6 सितंबर तक पर्वराज पर्युषण महापर्व की श्रृंखला आयोजित होगी। इस दौरान उपवास, साधना, स्वाध्याय, क्षमा, संयम और तप के अनेक आध्यात्मिक प्रयोग नगर को पवित्रता से भर देंगे। बड़ी संख्या में तपस्वी विविध तप करेंगे, जिनका महापारणा 7 सितंबर को होगा। इस सात दिवसीय तप साधना की पूर्णता के पश्चात 14 सितंबर को समूचा जैन समाज क्षमा याचना के साथ ‘क्षमावाणी पर्व’ मनाएगा।
चातुर्मास समिति के मुख्य संयोजक पारस सिंघवी, संयोजक अशोक शाह एवं गौरवाध्यक्ष शांतिलाल मनोत ने संयुक्त रूप से बताया कि यह चातुर्मास आयोजन केवल धार्मिक परंपरा नहीं, अपितु नगर की सांस्कृतिक चेतना को पुनः जागृत करने का एक यशस्वी अवसर है। इस आयोजन के माध्यम से नई पीढ़ी को संयम, सेवा, सत्य और साधना का मार्ग दिखाने का प्रयास किया जा रहा है।
महामंत्री प्रकाश सिंघवी के अनुसार पर्युषण पर्व के साथ ही कई सांस्कृतिक, साहित्यिक व नैतिक आयोजनों की रूपरेखा भी तय की जा चुकी है, जिन्हें समय-समय पर नगरवासियों को सूचित किया जाएगा। कोषाध्यक्ष श्रीपाल धर्मावत ने बताया कि वर्ष 2015 में भी हीरामन टावर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के दौरान आचार्यश्री का सान्निध्य प्राप्त हुआ था, लेकिन चातुर्मास जैसा विस्तारपूर्ण आयोजन 2008 के बाद अब जाकर पुनः साकार हो रहा है।
इस आयोजन में अखिल भारतीय पुलक जन चेतना मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद फांदोत की प्रेरणा, विप्लव कुमार जैन के प्रचार-प्रसार संयोजन, और मेवाड़ जैन युवा संस्थान की 51 बुलेट रैली जैसी अभिनव पहल आयोजन को गौरवशाली बनाएगी। शोभायात्रा और प्रवचनों की श्रृंखला में युवाओं, महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठजनों की विशेष भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
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