24 न्यूज अपडेट, नेशनल डेस्क। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग के दौरान पाकिस्तान द्वारा भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराने के दावों पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कहा कि असली मुद्दा यह नहीं है कि कितने विमान गिरे, बल्कि यह है कि वे क्यों गिरे और हमने उनसे क्या सीखा। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने अपनी गलतियों को पहचाना, उन्हें तुरंत सुधारा और दो दिन के भीतर दुश्मन के ठिकानों को लंबी दूरी से प्रभावी तरीके से निशाना बनाया।
ब्लूमबर्ग के सवालों के जवाब में जनरल चौहान ने कहा कि पाकिस्तान के दावे पूरी तरह गलत हैं। संख्या मायने नहीं रखती, बल्कि यह मायने रखता है कि भारत ने संघर्ष से क्या सीखा और अपनी सैन्य रणनीतियों को कैसे मजबूत किया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस पूरे संघर्ष के दौरान परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की नौबत कभी नहीं आई, जो एक राहत की बात है।
7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था। इसके बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दावा किया था कि उनकी सेना ने भारत के 5 लड़ाकू विमानों को मार गिराया, जिनमें 3 राफेल शामिल थे। बाद में यह दावा बढ़ाकर 6 कर दिया गया। भारत ने इन दावों को खारिज कर दिया। इससे पहले एयर मार्शल अवधेश भारती से भी राफेल के क्रैश या मार गिराए जाने को लेकर सवाल पूछा गया था, जिस पर उन्होंने कोई पुष्टि नहीं की।
जनरल चौहान ने पाकिस्तान के साथ संबंधों पर भी कड़ा रुख दिखाते हुए कहा कि अब भारत बिना रणनीति के कोई भी कदम नहीं उठाता। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से कूटनीतिक संबंधों का जो दौर कभी प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में नवाज शरीफ को शपथ ग्रहण में बुलाकर शुरू हुआ था, वह अब खत्म हो चुका है। जब बदले में सिर्फ दुश्मनी मिले, तो दूरी बनाना ही समझदारी है। उन्होंने बताया कि आजादी के समय पाकिस्तान कई सामाजिक व आर्थिक पैमानों पर भारत से आगे था, लेकिन अब भारत हर मोर्चे पर उससे आगे निकल चुका है। यह कोई संयोग नहीं, बल्कि सोची-समझी रणनीति और आत्मनिर्भरता की नीति का परिणाम है। शांगरी-ला डायलॉग में जनरल चौहान ने ’भविष्य के युद्ध’ विषय पर बात रखते हुए बताया कि अब युद्ध केवल भूमि, जल और वायु तक सीमित नहीं हैं, बल्कि साइबर और अंतरिक्ष भी नए युद्धक्षेत्र बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने स्वदेशी तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल किया, जिसमें आकाश मिसाइल सिस्टम और घरेलू नेटवर्क-रडार प्रणाली जैसी क्षमताएं शामिल थीं।
उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान अफवाहें और फर्जी खबरें एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आईं। भारत की रणनीति रही कि बिना जल्दबाजी के, तथ्यों के साथ सटीक जानकारी साझा की जाए। इस ऑपरेशन की शुरुआत में मीडिया से संवाद करने की जिम्मेदारी दो महिला अधिकारियों को सौंपी गई, क्योंकि वरिष्ठ अधिकारी तत्कालीन सैन्य कार्रवाई में व्यस्त थे।
जनरल चौहान ने जापान, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ समेत कई देशों के रक्षा अधिकारियों से भी मुलाकात की। इस संवाद ने भारत की सैन्य नीति और रणनीतिक दृष्टिकोण को वैश्विक मंच पर और अधिक सुदृढ़ किया।
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