24 News Update उदयपुर। शहर विधायक ताराचंद जैन ने शनिवार को ऑटो चालकों की पहचान और पर्यटक सुरक्षा के लिए शुरू किए गए स्टीकर अभियान के दौरान यह ऐलान किया कि पूरे शहर में जल्द ही सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। उनका उद्देश्य अपराधियों में भय पैदा करना और शहर को सुरक्षित बनाना है।
लेकिन सवाल उठता है कि जब थानों में पहले से लगे सीसीटीवी कैमरे जनता और पीड़ितों के लिए काम नहीं कर रहे, तो नए कैमरों का क्या फायदा होगा। उदयपुर के थानों में लगे कैमरों के फुटेज आमजन या पीड़ितों को उपलब्ध नहीं कराए जाते। पुलिस बार-बार बहाने बनाती हैकृकभी कहती है कि सूचना देने से थाने की गोपनीयता भंग होगी, कभी आरटीआई का जवाब अस्वीकार कर देती है, कभी डीवीआर खराब होने का बहाना और कभी कहती है कि फुटेज की अवधि पार हो गई। हद तो यह है कि इस मुद्दे पर की गई आरटीआई की एक भी अपील की अब तक एसपी ने सुनवाई नहीं की है। ऐसे में राज्य आयोग के पाए अपील करनी पड़ती है। वहां से अपील के बाद जब आदेश आता है तब यहां से दो टूक मनमाना बहाना बना दिया जाता है।
यह स्थिति तब है जबकि सभी सीसीटीवी जनता के टेक्स के पैसों से लगाए गए हैं, यहां तक कि अभय कमांड के कैमरे भी जनता के पैसे से ही स्थापित हैं। बावजूद इसके, चोरी की रिपोर्ट दर्ज करने के तुरंत बाद फुटेज मिलना तो दूर, घंटों-घंटों तक पीड़ितों को चक्कर लगाना पड़ता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि सिटीवाइड सीसीटीवी योजना का असली लाभ तभी मिलेगा, जब फुटेज मांगने पर तुरंत उपलब्ध हो और बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सुरक्षित सर्वर पर स्टोर हो। सुप्रीम कोर्ट ने भी थानों में हुई मौतों और घटनाओं के बाद यह साफ कहा है कि राजस्थान सरकार को कैमरा फुटेज संरक्षित करने की पूरी व्यवस्था रिपोर्ट के माध्यम से कोर्ट को प्रस्तुत करनी होगी।
विधायक जैन ने नए सीसीटीवी कैमरों की पहल की है वह शानदार है मगर इसके साथ यह सुनिश्चित किया जाएगा कि फुटेज रियल-टाइम में सुरक्षित सर्वर पर स्टोर हो और जनता के कानूनी अधिकारों के लिए उपलब्ध रहे।
विधायक ने पर्यटक सुरक्षा के लिए ऑटो चालकों पर स्टीकर लगाने, उनका वेरिफिकेशन और ड्रेस कोड लागू करने की पहल भी शुरू की। यह अभियान 15 दिनों में पूरे शहर के 3,000 ऑटो पर लागू किया जाएगा।
उदयपुर शहर में जल्द ही हर सड़क पर सीसीटीवी, मगर फुटेज मांगे जाने पर जनता को नहीं देंगे तो उसका फायदा क्या?

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