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स्त्री देह से आगे मातृत्व, चेतना और आत्मशक्ति पर विमर्श, गुलाब कोठारी बोले — मां त्रिकालदर्शी है, वही जीवन की असली सृजनकर्ता

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24 News update उदयपुर | 14 जून 2025

राजस्थान पत्रिका के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूरचंद कुलिश की जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में शनिवार को डबोक स्थित जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय परिसर के एग्रीकल्चर महाविद्यालय सभागार में “स्त्री देह से आगे” विषय पर विशेष विचार विमर्श का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी ने वैदिक दृष्टिकोण और भावनात्मक उदाहरणों के साथ स्त्री की चेतना, मातृत्व और आत्मशक्ति पर सारगर्भित वक्तव्य दिया।

मां है सृजन और संस्कार की आधारशिला

डॉ. कोठारी ने कहा — “आज मां खो गई है, जो कभी गुरु थी। समय आ गया है उस मां को पुनः जीवित करने का। वही सुख है, वही भविष्य है। मां केवल जन्म नहीं देती, वह आत्मा और शरीर दोनों को संस्कारित करती है। वह सरस्वती, लक्ष्मी और शक्ति रूपा है। सृष्टि की त्रिकालदर्शी वही है — जो गर्भ में जीवन का आगमन जानती है। कोई यंत्र या तकनीक इसकी सूचना नहीं दे सकती।’’

उन्होंने कहा कि शिक्षा ने आज शरीर और बुद्धि का विकास कर दिया, मगर मन और आत्मा का क्षेत्र उपेक्षित रह गया। भोजन को पूजा मानने और चित्त के साथ भोजन ग्रहण करने से शरीर स्वतः हीलिंग मोड में आ जाता है।

स्त्री चेतना अविनाशी और परिवर्तनशील

डॉ. कोठारी ने कहा — “स्त्री की ऊर्जा सूक्ष्म और अद्वितीय होती है, जो सृष्टि, संस्कृति और चेतना का निर्माण करती है। विज्ञान कहता है कि पदार्थ और ऊर्जा एक-दूसरे में परिवर्तित हो सकते हैं, समाप्त नहीं। ठीक वैसे ही स्त्री चेतना भी अविनाशी है।’’

उन्होंने कहा कि स्त्री की शक्ति मांगने वाली नहीं, बल्कि देने वाली होती है। शादी के बाद स्त्री अपने पीहर में देह को छोड़ आत्मा के साथ ससुराल आती है, इसलिए उसका भाव सौम्य और सृजनशील होता है।

2047 तक आत्मिक रूप से सशक्त भारत की कल्पना

कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा — “आज भारतीय नारी सीता की मर्यादा, राधा की भक्ति, मीरा की निर्भीकता, रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और गार्गी-मैत्रेयी की विद्वत्ता के साथ आगे बढ़ रही है। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था शरीर का पोषण कर आत्मा को खो रही है। हमें चिंतन की आहुति देकर चेतना का जागरण करना होगा। 2047 तक भारत को आत्मिक विकास में भी सशक्त राष्ट्र बनाना होगा।’’

‘नारी सशक्त थी, है और रहेगी’

कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि नारी सशक्त थी, है और सदा रहेगी। उसे सशक्त करने की नहीं, उसकी शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है।

स्मरण और श्रद्धांजलि

समारोह का शुभारंभ कर्पूरचंद कुलिश की तस्वीर पर पुष्पांजलि और मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ। अंत में हाल ही में अहमदाबाद विमान हादसे में दिवंगत हुए लोगों के लिए दो मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि दी गई।

उपस्थिति

इस अवसर पर प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. पारस जैन, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, प्रो. गजेन्द्र माथुर, डॉ. स्वाति कोठारी, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. चन्द्रपाल सिंह चौहान, डॉ. मोहसिन छीपा, कृष्णकांत कुमावत, डॉ. यज्ञ आमेटा, राकेश दाधीच समेत अनेक प्राध्यापक, विद्यार्थी, एनसीसी कैडेट्स उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रचना राठौड़ ने किया।

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