24 News Update चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ शहर में पहली बार एक भालू का सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया। शनिवार सुबह हुए इस ऑपरेशन में वन विभाग की टीम ने करीब 3 घंटे की मशक्कत के बाद भालू को ट्रेंकुलाइज कर सुरक्षित पकड़ लिया। खास बात यह रही कि भालू ने किसी भी व्यक्ति पर हमला नहीं किया और पूरी तरह शांत बना रहा।
तीन दिन पहले अभयपुरा घाटे पर दिखा था भालू
जानकारी के अनुसार, यह भालू पिछले दो महीने से चित्तौड़गढ़ शहर और आस-पास के इलाकों में देखा जा रहा था। तीन दिन पहले यह अभयपुरा घाटे पर नजर आया था। इसके बाद शुक्रवार को रतन महल के पास और शनिवार सुबह संगम महादेव पुलिया के किनारे से बूंदी रोड की ओर बढ़ते हुए भालू को देखा गया।
वहां से निकलकर भालू मानपुरा गांव की माइंस एरिया में पहुंच गया। यहां कुछ ग्रामीणों ने भालू को देखा तो उसके पीछे दौड़ने लगे। इससे घबराकर भालू बालाजी क्रेशर की तरफ भागा और एक लोहे की चद्दर पर बैठकर काफी देर तक शांत रहा।
सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची
भालू की लोकेशन मिलते ही सूचना DFO राहुल झांझरिया को दी गई। वन विभाग की टीम तत्काल मौके पर पहुंची। पशु चिकित्सक डॉ. धर्मेंद्र सोन और बस्सी से विशेषज्ञ ट्रेंकुलाइजिंग टीम को भी बुलाया गया।
टीम ने पहले भालू को सुरक्षित पकड़ने के लिए नीचे जाल बिछाया ताकि भालू को कोई चोट न लगे। विजयपुर रेंज के सहायक वनपाल मनोहर सिंह जाट ने करीब 20-25 फीट दूरी से ट्रेंकुलाइज गन से भालू को निशाना बनाया। भालू पर दो बार शूट कर दवा दी गई, जिसके कुछ ही मिनटों में वह बेहोश हो गया।
3 घंटे चला ऑपरेशन, भारी भीड़ जुटी
पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन में करीब 3 घंटे का समय लगा। इस दौरान मौके पर भारी भीड़ एकत्र हो गई। बच्चे, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी भालू को देखने पहुंचे। कई लोग मोबाइल से वीडियो और रील भी बनाने लगे। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित कर वन विभाग की टीम को सहयोग दिया।
सात साल का नर भालू, बस्सी सेंचुरी में छोड़ा गया
वन विभाग के अनुसार, यह 7 साल का नर भालू है। रेस्क्यू के बाद उसे बस्सी सेंचुरी में सुरक्षित छोड़ दिया गया।
रेस्क्यू टीम की सराहना
इस सफल रेस्क्यू में विजयपुर रेंजर चंद्रजीत सिंह, बस्सी के लाइफ रेंजर नरेंद्र विश्नोई, सहायक वनपाल मुकेश खारोल, वन्यजीव प्रेमी मनीष तिवारी, तेज सिंह, नाथू सिंह, भूपेंद्र, प्रकाश सेन सहित कई सदस्यों ने भाग लिया। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह पहला मौका था जब चित्तौड़गढ़ शहर में भालू का रेस्क्यू किया गया, जो उनके लिए एक नया अनुभव और बड़ी उपलब्धि है।
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