24 news update भीलवाड़ा, कोटड़ी | गांव में पिछले कुछ दिनों से सक्रिय मादा तेंदुआ अपने दो शावकों के साथ शुक्रवार सुबह गौरव का खेड़ा गांव के सरकारी स्कूल के पास देखी गई, लेकिन अचानक एक शावक स्कूल के मैदान में फंस गया। तीन कक्षाओं में पढ़ रहे 50 बच्चों को शिक्षकों ने तत्काल सुरक्षित घर भेजा। चार घंटे तक चली मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम ने शावक को रेस्क्यू कर लिया।
यह घटना शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे की है, जब दो ग्रामीणों भैरू और एक अन्य ने स्कूल के पास मादा तेंदुआ व दो शावकों को देखा। शोरगुल होने पर मादा तेंदुआ एक शावक के साथ भाग गई, लेकिन दूसरा शावक 6 से 8 फीट ऊंची दीवारों से घिरे स्कूल मैदान में फंस गया।
बच्चों को किया गया सुरक्षित, ग्रामीणों ने की घेराबंदी
घटना की जानकारी मिलते ही शिक्षक किशनलाल ने क्लासरूम बंद कर दिए। परिजन और ग्रामीण मौके पर पहुंचे और बच्चों को सुरक्षित घर भेजा गया। इसके बाद ग्रामीणों और शिक्षकों ने लाठियों से मैदान की घेराबंदी की, ताकि शावक बाहर न निकल सके।
शावक एक घंटे तक दौड़ता रहा, फिर झाड़ियों में छिपा
ग्रामीणों के अनुसार, शावक बदहवासी में इधर-उधर दौड़ता रहा और बाद में झाड़ियों में जाकर छिप गया। कुछ लोगों ने मोबाइल कैमरों से वीडियो भी बनाए, जिससे शोर और बढ़ गया।
वन विभाग ने किया रेस्क्यू, ट्रैंकुलाइज नहीं किया गया
सुबह 11 बजे के करीब रेंजर राजेंद्र शर्मा, एसीएफ पायल माथुर और तीन गार्डों की टीम मौके पर पहुंची। क्षेत्रीय DFO गौरव गर्ग के अनुसार, शावक को ट्रैंकुलाइज नहीं किया गया क्योंकि वह पहले से ही थका हुआ था। दोपहर 1 बजे के करीब टीम ने उसे झाड़ियों से सावधानीपूर्वक निकाल लिया।
शावक को जल्द छोड़ा जाएगा जंगल में, मां की तलाश जारी
रेस्क्यू के बाद शावक को सुरक्षित रखा गया है और उसे जहाजपुर क्षेत्र के वन क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। वहीं, मादा तेंदुआ की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
इलाके में वाइल्डलाइफ सेंचुरी की योजना
DFO गौरव गर्ग ने बताया कि क्षेत्र में लगातार लेपर्ड मूवमेंट के चलते वाइल्डलाइफ सेंचुरी विकसित करने की योजना पर विचार हो रहा है, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष कम हो और पर्यटन को भी बढ़ावा मिले। स्थानीय विधायक ने भी इस विषय को विधानसभा में उठाया है।
ग्रामीणों में दहशत, मादा तेंदुआ ने 6 मवेशियों का किया शिकार
स्थानीय निवासी भवानी शंकर जाट ने बताया कि पिछले 15 दिनों से मादा तेंदुआ जावल, देवरिया और गौरव का खेड़ा क्षेत्र में सक्रिय है और अब तक छह मवेशियों का शिकार कर चुकी है। इससे ग्रामीणों में भय व्याप्त है, विशेषकर खेतों और कुओं पर जाने में लोग संकोच कर रहे हैं।
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