24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के छात्रों को अनुशानसहीनता के मामले में निलंबन के आदेश आते ही भूचाल आ गया है। 24 न्यूज अपडेट में सबसे पहले खबर ब्रेक होते ही हंगामा हो गया है। एबीवीपी ने सुबह साढ़े दस बजे जिला कलेक्ट्री पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है। इसके लिए रात को ही सभी स्टूडेंट को सोशल मीडिया पर कॉल दी गई व वीसी के फैसल को तानाशाही बताया गया। इस बीच गणित विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अजीत कुमार भाबोर ने अनुशान समिति के समन्वय को पत्र लिखकर अपनी अहसमति साफ साफ जाहिर कर दी व अनुशान समिति से ही अपना नाम व कमेटी की बैठक के फैसल से अपने हस्ताक्षर को वापस लेन वाला पत्र लिख दिया।
इसमें उन्होंने समन्वयक से कहा कि
इस समिति की मीटिंग 11 सितंबर 2025 को हुई। यह मीटिंग कमेटी बनाने के लगभग 45 दिन के बाद हुई। इस मीटिंग में दिनांक 14/07/2025 को विश्विद्यालय प्रशासनिक भवन पर धरना प्रदर्शन करने वाले छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने तथा उन्हें एक सेमेस्टर के लिए निष्कासित करने का निर्णय लिया गया। एक प्रोफसर साहब पर आरोप लगाते हुए कहा कि मीटिंग में आक्रोशित होकर बात की गई जो स्वीकार्य नहीं है। मुझसे छात्र अहित में हस्ताक्षर करा लिए गए। कमिटी के इस निर्णय से मैं सहमत नहीं हूँ। अतः इस मीटिंग में मेरे हस्ताक्षर को रद्द माना जाये।
आपको बता दें कि निष्कासन का मामला सामने आते ही अब सभी मोर्चों पर वीसी के खिलाफ विरोध की तलवारें खिंच गइ्र्रं हैं क्योंकि जिनका निष्कासन का फरमान है उसमें से कुछ डबल इंजन की सरकार की विचारधारा वाले संगठन से हैं तो कुछ हाथ वाले संगठन से।
सुविवि में प्रदर्शन होना बरसों से आम बात है। कई बार जोर आइमाइश के दौर भी आते रहे लेकिन ऐसी नौबत पहली बार आई है। आपको बता दें कि विज्ञान महाविद्यालय से अविनाश कुमावत, जैकी मीणा, युवराज सिंह, कला महाविद्यालय से हर्षवर्धन सिंह चौहान, अंशुमान सिंह शक्तावत, कॉमर्स कॉलेज से त्रिभुवनसिंह राठौड़, लॉ कॉलेज के दो छात्रों प्रवीण टांक एवं रौनक राज सिंह शक्तावत के निष्कासन की अनुशंसा की गई है।
निष्कासन की अनुशंसा में कुलसचिव ने विभिन्न कॉलेजों के डीन को लिखा कि
‘‘‘ दिनांक 14 जुलाई 2025 को विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन पर छात्रों द्वारा कुलगुरु महोदया एवं कुलानुशासक के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए आंदोलन में भाग लिया गया और कुलानुशासक के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया। इस गंभीर घटना के संज्ञान में लेते हुए कुलगुरु महोदया के निर्देशानुसार अनुशासन समिति का गठन किया गया। जांच के बाद दोषी पाया गया।
अनुशासन समिति की अनुशंसा और कुलगुरु के निर्देशानुसार, दोषी छात्रों को वर्तमान सेमेस्टर अथवा छह महीने के लिए महाविद्यालय से निष्कासित करने का निर्णय हुआ है। अब डीन को इसकी अनुपालना करवानी है।’’
इस फैसले के बाद से राजनीति गरमाने की पूरी संभावना बन गई है क्योंकि स्टूडेंट एबीवीपी व एनएसयूआई से जुड़े हैं। इनकी प्रमुख मांग छात्रसंघ चुनाव थी। नोटिसों के सामने आने के बाद से आगे के आंदोलन की रणनीति भी बनना तय हो गई है। छात्रों का कहना है कि आंदोलन होते रहते हैं, इससे पहले कभी भी इस तरह की कार्रवाई सुविवि के इतिहास में नहीं हुई, है। ऐसा लगता है कि इंटेंशनली छात्र राजनीति को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है। इस मामले में आने वाले दिनों में जोरदार प्रदर्शन भी हो सकता है।
यह फैसला हास्यास्पद है
इस बारे में रौनकराज सिंह ने कहा कि यह न्यायोचित नहीं है। यह फैसला ही हास्यास्पद है। वे एलएलबी सेकण्ड इयर के स्टूडेंट हैं व अभाविप के कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक अधिकार है, जिसे हर नागरिक को प्रयोग कर सकने का हक है। इस प्रकार की कार्रवाई सीधे सीधे तानाशाही है, जो नागरिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का प्रयास करती है। अन्य छात्रों का कहना है कि यह कार्रवाई अनुचित व उनके अधिकारों का हनन है, और इससे एक भयावह प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है जो शिक्षा के माहौल को भी प्रभावित कर सकती है। फिलहाल यह मामला संगठन व सत्ता के पास भी पहुंच गया है व इसकी खूब चर्चा हो रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि छात्रों की आवाज़ को अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस स्थिति में सभी की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होगी, खासकर उन छात्र संगठनों की, जो शिक्षा प्रणाली में सुधार और स्वतंत्रता के लिए लगातार लड़ाई कर रहे हैं।
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